More
    Homeराज्यमध्यप्रदेशसागर में पकड़ा गया दुर्लभ सफेद उल्लू, तांत्रिकों की पसंद और पांच...

    सागर में पकड़ा गया दुर्लभ सफेद उल्लू, तांत्रिकों की पसंद और पांच लाख से अधिक कीमत होने के बावजूद सुरक्षित

    सागर: दीपावली के पहले MP में ' हिमालयन वुड आउल ' दुर्लभ प्रजाति का सफेद उल्लू मिला है। उल्लू को किसी व्यक्ति ने बंधक बनाकर रखा था। उसके पंखों पर गोंद और टेप चिपकाया गया था, ताकि वह उड़ न सके। आशंका जताई जा रही है कि कोई व्यक्ति् करोड़पति बनने की चाहत में उसे तिजोरी समझकर उसकी बलि चढ़ाने या उसे लाखों रुपए में बेचने की फिराक में था। हालांकि तांत्रिक के मंसूबे पूरे होते उससे पहले ही उल्लू को बचा लिया गया है। सागर के शास्त्री नगर वार्ड में दुर्लभ प्रजाति का सफेद उल्लू मिला है। वन्य जीवों के जानकार इसे सफेद उल्लू बता रहे हैं जो दुर्लभ प्रजाति का और हिमालय से लेकर कोरिया और ताइवान तक पाया जाता है। यह बेहद बुरी हालत में मिला था। किसी ने उसके पंखों को गोंद और टेप से बेरहमी से चिपका दिया था, ताकि वह उड़ न सके। आशंका जताई जा रही है कि दीपावली या नवरात्र में कोई इसे तांत्रिक को बेचने की फिराक में था, इसकी बलि देने की मंशा से इसे बंधक बनाया गया था।

    एक ने पंख चिपकाए, दूसरे ने दी नई उड़ान
    शास्त्री नगर स्थित सरकारी स्कूल के एक शिक्षक की नजर परिसर में पड़े इस उल्लू पर पड़ी तो वे चौंक गए। उन्होंने इस दर्द से तड़पते उल्लू को देखा, तो वे हैरान रह गए। यह उड़ने की कोशिश करता, लेकिन चिपके हुए पंख इसे जमीन पर गिरा दे रहे थे। उन्होंने जाने-माने पक्षी प्रेमी और रेस्क्यूअर शैलेंद्र जैन को सूचित कर स्कूल बुला लिया था।

    बेचने या तंत्र क्रिया के लिए बंधक
    शैलेंद्र जैन के अनसयार जब मैंने उसे देखा तो स्तब्ध था। उल्लू के दोनों पंख बुरी तरह चिपकाए गए थे। यह साफ था कि इसे किसी ने अवैध रूप से पकड़कर रखने या बेचने के लिए ऐसा किया था, लेकिन यह किसी तरह उनके चंगुल से छूटकर स्कूल तक पहुंच गया होगा।

    तीन दिन बाद मिला खुला आसमान
    शैलेंद्र जैन ने उल्लू की देखभाल की और पहले दिन से ही पानी, साबुन और शैम्पू से पंख साफ करने की कोशिश की, लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो केरोसिन का इस्तेमाल करना पड़ा। इस मुश्किल प्रक्रिया के बाद जब उल्लू के पंख आजाद हुए और उसे उसे नई जिंदगी मिल गई। तीसरे दिन पूरी तरह स्वस्थ होने पर जंगल में छोड़ दिया।

    हिमालय का मेहमान सागर में क्या कर रहा है?
    जूलॉजिस्ट डॉ. मनीष जैन के अनुसार शैलेंद्र ने जिस उल्लू का रेस्क्यू किया है उसे सामान्य भाषा में सफेद उल्लू बोला जाता है। यह दुर्लभ 'हिमालयन वुड आउल' है, जो सामान्यतः बुंदेलखंड या मध्य प्रदेश की जलवायु में नहीं पाया जाता। इसका प्राकृतिक आवास हिमालय से लेकर कोरिया और ताइवान तक है। संभव है कोई वन्य जीव तस्कर गिरोह का काम हो सकता है।

    लाखों होती है कीमत, दीपावली पर तस्कर सक्रिय
    देश के कई इलाकों में उल्लू से जुड़ी कुछ मान्यताएं और किवदंतियां प्रचलित हैं। सफेद उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। यही धार्मिक मान्यता उसके लिए जानलेवा बन जाती है। दिवाली के दौरान तांत्रिक क्रियाओं के लिए इसकी मांग चरम पर होती है। माना जाता है कि इसकी बलि देने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। इसके पंख, चोंच और नाखूनों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र में किया जाता है, जिसके लिए तस्कर और तांत्रिक लाखों रुपये देने को तैयार रहते हैं।

    latest articles

    explore more

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here