नई दिल्ली. सावन के महीने में धर्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की भरमार होती है, जो भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस धार्मिक और सांस्कृतिक महीने में लोगों के द्वारा पर्वों की धूमधाम से मनाने की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।
सावन शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित
सावन शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है। यह श्रावण माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ अवसर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में धन की कमी नहीं रहती है। यह दिन शिव-पार्वती के मिलन का भी प्रतीक है। इस साल सावन की मासिक शिवरात्रि 02 अगस्त को मनाई जाएगी।
दो अगस्त को सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दो अगस्त को दोपहर तीन बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी तीन अगस्त को दोपहर तीन बजकर 50 मिनट पर होगा। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा निशा काल में की जाती है। इसलिए इस बार दो अगस्त को सावन की शिवरात्रि मनाई जाएगी।
शिव की प्रतिमा चढ़ाएं फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा
सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पूजा कक्ष को साफ कर लें। भगवान शिव की प्रतिमा और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें। अलग-अलग फूल, बेल पत्र, भांग और धतूरा चढ़ाएं। पुरुष शिवलिंग पर जनेऊ चढ़ा सकते हैं, लेकिन महिलाओं को जनेऊ नहीं चढ़ाना चाहिए। सफेद चंदन से शिव जी के माथे पर त्रिपुंड बनाएं। देसी घी का दीया जलाएं और भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से “महामृत्युंजय मंत्र” का 108 बार जाप करें। इसके अलावा भगवान शिव को अक्षत, मीठा पान, मौसमी फल चढ़ाएं। सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महिलाएं देवी पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें।