व्यापार: वित्तीय शिक्षा और जागरुकता को लेकर सेबी ने अब तक का सबसे बड़ा सर्वे किया है। देश के 47 फीसदी निवेशक अब भी हिंदी में वित्तीय शिक्षा पाना पसंद करते हैं। 47 फीसदी लोग चाहते हैं कि क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा मिले। केवल 5 फीसदी अंग्रेजी में वित्तीय जानकारी पाना चाहते हैं। हिंदी के बाद दूसरे स्थान पर बंगाली है। 8 फीसदी बंगाली चाहते हैं कि उनकी भाषा में शिक्षा मिले।
सेबी के सर्वे के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में 52 फीसदी लोग स्टॉक, बॉन्ड्स और म्यूचुअल फंड में निवेश करना पसंद करते हैं। रिटायरमेंट और लंबी अवधि की वित्तीय योजना बनाने वालों की संख्या 42 फीसदी है। वेतनभोगी में 42 फीसदी लोग भी लंबी अवधि की वित्तीय योजना पर जोर देते हैं। 49 फीसदी का निवेश विकल्पों में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। 45 फीसदी सेवानिवृत्ति योजना में दिलचस्पी दिखाते हैं।
म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ और शेयर के बारे में लोगों को सबसे ज्यादा जानकारी है। 53 फीसदी म्यूचुअल फंड और ईटीएफ को जानते हैं। 49 फीसदी शेयर के बारे में जानते हैं। 13 फीसदी वायदा एवं विकल्प यानी एफएंडओ को जानते हैं। रीट-इनविट और कॉरपोरेट बॉन्ड्स के बारे में 10-10 फीसदी लोग जानते हैं।
छोटे राज्यों में वित्तीय शिक्षा 15 फीसदी तक
छोटे राज्यों में जबरदस्त वित्तीय शिक्षा या जागरुकता है। उदाहरण के तौर पर दमन, दीव एवं दादरा नगर हवेली में वित्तीय शिक्षा 15 फीसदी है। गोवा में भी 15.5 फीसदी है। उत्तर पूर्व राज्यों मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम में 7 फीसदी तक है। महाराष्ट्र में 17 फीसदी, गुजरात में 15.4 फीसदी, दिल्ली में 20 फीसदी, राजस्थान में 9.6 फीसदी ही वित्तीय साक्षरता है। मध्य प्रदेश में 8.4 फीसदी साक्षरता है। छत्तीसगढ़ में 6.2 फीसदी, तेलंगाना में 8.4 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 6 फीसदी में यह साक्षरता है।
एक उत्पाद को जानते हैं 21.9 करोड़ परिवार
सेबी ने कहा, 33.7 करोड़ परिवारों में से 21.9 करोड़ परिवार एक वित्तीय उत्पाद को जानते हैं। शहरों में यह औसत 74 फीसदी है। 9 महानगरों में 89 फीसदी है। 10 से 40 लाख की आबादी में 76 फीसदी, 5 से 10 लाख में 78 फीसदी है।