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    MPC का इशारा- अर्थव्यवस्था की रफ्तार थमी तो होगी रेट कट की तैयारी

    व्यापार: अगर बाहरी दबाव बने रहते हैं और देश की आर्थिक विकास दर धीमी होने लगती है, तो दिसंबर में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकती है। यह बात आईसीआईसीआई बैंक की एक रिपोर्ट में कही गई है।

    नीतिगत भाषा में बदलाव से दर में कटौती का संकेत
    रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एमपीसी की नीतिगत भाषा में हाल ही में बदलाव आया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आगे चलकर ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है। अगस्त की नीति समीक्षा में समिति ने कहा था कि मौद्रिक नीति ने कम महंगाई की स्थिति से मिले स्थान का उपयोग किया है। लेकिन अक्तूबर की समीक्षा में भाषा बदलकर यह कहा गया कि महंगाई में नरमी आने से आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए मौद्रिक नीति को अधिक गुंजाइश मिली है। आईसीआईसीआई बैंक के मुताबिक, यह बदलाव नीतिगत रूप से नरम रुख की ओर इशारा करता है।

    दिसंबर में तय किया अगला कदम: आरबीआई गवर्नर
    रिपोर्ट में कहा गया कि जब महंगाई नियंत्रण में हो, तब दरों में कटौती का सबसे बड़ा कारण आर्थिक विकास होता है। अगर बाहरी परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण बनी रहती हैं और देश का आर्थिक विकास धीमा होता है,तो एमपीसी दरों में कटौती कर सकती है। नीति समीक्षा के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर में भी संकेत दिया कि कुछ गुंजाइश बनी है और कई कारकों के आधार पर दिसंबर में अगला कदम तय किया जाएगा। इससे भी दर कटौती की संभावना को मिला है। 

    एमपीसी के दो बाहरी सदस्यों ने किया नीति का समर्थन
    रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया कि एमपीसी के दो बाहरी सदस्यों ने नीतिगत रुख को समर्थन में मतदान किया, जिससे नीति में नरमी की संभावनाओं को और बल मिला है। यह एक बड़ा संकेत है कि दिसंबर में दरों में कटौती संभव है। जहां तक कटौती की मात्रा या अंतिम दर का सवाल है, रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी की स्थिति में 25 आधार अंकों (बीपी) की कटौती हो सकती है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगी कि आने वाले जीडीपी के आंकड़े, रोजमर्रा के आर्थिक संकेतक और वैश्विक व्यापार की स्थिति कैसे रहती है। 

    इसके अलावा, गवर्नर ने यह भी कहा कि हाल में जीएसटी दरों में की गई कटौती से उपभोग को कुछ समर्थन मिलेगा। लेकिन इससे अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई पूरी तरह नहीं हो पाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक महंगाई नियंत्रण में है, तब तक आर्थिक विकास और बाहरी चुनौतियां तय करेंगी कि आने वाले महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कितनी दर कटौती कर सकता है। 

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