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    रामदास कदम के नए दावे ने मचाई खलबली, बाल ठाकरे का शव मातोश्री में दो दिन रखा गया और थंब प्रिंट लिए गए

    मुंबई: गोरेगांव में गुरुवार को दशहरा रैली में शिवसेना ( एकनाथ शिंदे) नेता रामदास कदम ने सनसनीखेज दावा किया। उन्होंने कहा कि पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के निधन के बाद उनका शव दो दिन तक उनके निवास स्थान 'मातोश्री' में रखा गया और उनके फिंगरप्रिंट लिए गए। कदम ने शुक्रवार को कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं और आगे शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे की कथित भूमिका पर और खुलासे करेंगे। कदम ने कहा कि मैंने रैली में जो कहा वह आवेश में था, लेकिन सच था । लोगों को जानना चाहिए कि उद्धव ठाकरे वास्तव में कैसे हैं। उन्होंने बालासाहेब के शरीर को दो दिन तक यातनाएं दीं। हम दोनों का नार्को टेस्ट हो और सच्चाई सामने आए। उन्होंने चुनौती दी कि उद्धव ठाकरे अपने बेटे के सिर पर हाथ रखकर कसम खाएं और बताएं कि क्या उन्होंने फिंगरप्रिंट लिए थे और उनका इस्तेमाल कैसे हुआ।

    'शरद पवार को शव नहीं देखने 'दिया'
    कदम ने यह भी कहा कि वह जल्द ही बाल ठाकरे की वसीयत से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करेंगे। बकौल कदम 'मैं बताऊंगा कि वसीयत किसने बनाई, उस पर किसके हस्ताक्षर हुए।' उन्होंने यह दावा भी किया कि बाल ठाकरे के निधन के बाद जब एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार मातोश्री पहुंचे थे, तब उन्हें शव देखने नहीं दिया गया। मैं उस समय वहां मौजूद था। शरद पवार ने भी पूछा था कि बालासाहेब के शव को क्यों परेशान किया जा रहा है। तब उद्धव ने बताया कि उन्होंने उनके हाथों के निशान रखे हैं, उन्होंने आगे कहा कि मुझसे कहा गया था कि मैं बालासाहेब के निधन की घोषणा करूं। मैंने उद्धव ठाकरे से कहा कि बालसाहेब हमारे आराध्य हैं, उनके पेरों के निशान रखो। उन्होने कहा कि उन्होंने हाथों के निशान रखे हैं।

    इस तरह टिप्पणी करना अमानवीयः सुप्रिया सुले
    बाल ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को 86 वर्ष की आयु में हुआ था। 2022 में जब उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना का विभाजन किया, तो कदम उनके गुट में शामिल हो गए। कोकण से चार बार विधायक रह चुके कदम शिवसेना- बीजेपी सरकार में मंत्री भी रहे हैं। कदम के इस दावे पर शिवसेना (UBT) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। सांसद संजय राऊत ने कहा, 'हम बालासाहेब की बीमारी के समय पूरे वक्त मातोश्री थे। किसी ने कदम के मुंह में गोबर भर दिया है, वही अब बाहर निकल रहा है। ऐसे बयान विश्वासघात हैं।' एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि उसमें न संस्कृति बची है, न मानवता। किसी दिवंगत व्यक्ति और उनके परिवार पर इस तरह टिप्पणी करना अमानवीय है।

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