मुंबई : मराठा आरक्षण का चेहरा बने मनोज जरांगे पाटील ने महाराष्ट्र की कैबिनेट मंत्री पंकजा मुंडे और उनके चचेरे भाई पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक धनंजय मुंडे को चेतावनी दी है। मनोज जरांगे ने कहा, मुंडे बहन-भाई मुझसे पंगा न लें, वरना उनका राजनीतिक करियर खत्म कर देंगे। दशहरे के दिन पंकजा मुंडे ने बीड जिले के सावरगांव घाट पर एक रैली का आयोजन किया था। इस मौके पर पंकजा ने कहा, गोपीनाथ मुंडे ने मराठा आरक्षण का समर्थन किया था और हम भी इसके पक्ष में हैं, लेकिन इसे हमारी थाली से मत छीनिए। मेरा समुदाय आज भूख से जूझ रहा है। पंकजा के चचेरे भाई और अजित पवार की पार्टी के विधायक धनंजय मुंडे भी रैली में मौजूद थे। उन्होंने भी ओबीसी समुदाय के हिस्से से मराठों को आरक्षण दिए जाने का विरोध किया।
महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया है जीआर
मनोज जरांगे ने कहा, 'मैं उन दोनों (पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे) को चेतावनी दे रहा हूं। छगन भुजबल की बात मत मानो और मुझसे पंगा मत लो। कोई तुम्हारा राजनीतिक करियर बचाने नहीं आएगा। समझदार बनो, अब भी समय है।’ महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने दो सितंबर को हैदराबाद गजेटियर को लागू करने के लिए एक शासनादेश (जीआर) जारी किया था, जिससे मराठा समुदाय के पात्र सदस्य कुनबी जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकेंगे। इससे प्रमाण पत्र जारी होने के बाद मराठा ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का दावा कर सकेंगे। यह जीआर मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के मुंबई में 29 अगस्त से पांच दिन तक अनशन करने के बाद जारी किया गया था। हालांकि, इसे लेकर भुजबल समेत ओबीसी समुदाय के सदस्यों में नाराजगी फैल गई है, जो मराठों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं।
पंकजा मुंडे ने क्या कहा
पंकजा ने कहा, 'गोपीनाथ मुंडे ने मराठा आरक्षण का समर्थन किया था और हम भी इसके पक्ष में हैं लेकिन इसे हमारी थाली से मत छीनिए। मेरा समुदाय आज भूख से जूझ रहा है। लोगों का संघर्ष देखने के बाद मेरी नींद उड़ गई है।' धनंजय मुंडे ने सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में उनके करीबी सहयोगी वाल्मीकि कराड की गिरफ्तारी के बाद राज्य के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जरांगे ने धनंजय पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जिनके हाथ खून से रंगे हों, उन्हें मेरे समुदाय के बारे में नहीं बोलना चाहिए।’
'अजित पवार को भी नहीं बख्शेंगे'
कार्यकर्ता ने कहा कि वह धनंजय मुंडे की वजह से एनसीपी प्रमुख एवं उपमुख्यमंत्री अजित पवार को भी नहीं बख्शेंगे। उन्होंने कहा कि हम उनके उम्मीदवारों को चुनाव में हराएंगे, चाहे वे मराठा समुदाय के ही क्यों न हों। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय की लंबे समय से जारी मांग को पूरा किया जा रहा है, लेकिन अगर कोई जीआर को चुनौती देता है, तो वे चुप नहीं बैठेंगे।
सरकार को क्या पत्र लिखेंगे जरांगे?
मनोज जरांगे ने आगे कहा, ‘ऐसी स्थिति में, मराठा समुदाय के सदस्यों को ओबीसी श्रेणी के तहत कई समुदायों को आरक्षण देने वाले 1994 के जीआर को रद्द करने की मांग करते हुए एक ज्ञापन के साथ तहसील और जिलाधिकारी कार्यालयों से संपर्क करना चाहिए। मैं भी सरकार को पत्र लिखकर 50 प्रतिशत की सीमा से परे दो प्रतिशत अतिरिक्त कोटा रद्द करने की भी मांग करूंगा।’ जरांगे ने कहा कि वह यह भी मांग करेंगे कि जिन समुदायों ने प्रगति की है उन्हें आरक्षण के लाभों से बाहर रखा जाए।