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    प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे जम्मू कश्मीर की जनता को विश्वास में लेकर धारा 370 को हटाने का फैसला करना 

    नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 निरस्त करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जम्मू कश्मीर की जनता को विश्वास में लेकर करना चाहते थे। पीएम मोदी ने कहा कि इस फैसले के क्रियान्वयन के लिए जम्मू कश्मीर की जनता को विश्वास में लेना आवश्यक है।

    प्रधानमंत्री मोदी ने 370 : अनडूइंग द अनजस्ट, ए न्यू फ्यूचर फॉर जम्मू कश्मीर नामक नई किताब की प्रस्तावना में ये टिप्पणियां की हैं। उन्होंने पुस्तक में लिखा कि जब भी जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने का निर्णय लिया जाए तो यह वहां के लोगों पर थोपने की बजाय उनकी सहमति के आधार पर लिया जाना चाहिए।

    पीएम मोदी ने तय किया लक्ष्य कैसे किया हासिल

    नई प्रकाशित पुस्तक गैर-लाभकारी संगठन ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की ओर से लिखी गई है और इसे पेंगुइन इंटरप्राइज ने प्रकाशित किया है। किताब में मोदी ने अपने लिए जो लक्ष्य तय किए थे, उन्हें कैसे हासिल किया, इस बारे में बताया गया है। प्रकाशकों का कहना है कि इस पुस्तक का विमोचन अगस्त में किया जाना है।

    स्वतंत्रता के समय की गई कई भूलों पर डाला प्रकाश

    पुस्तक के प्रकाशक ने कहा कि यह किताब निस्संदेह भारत के इतिहास की सबसे बड़ी संवैधानिक उपलब्धि के साथ प्रधानमंत्री मोदी की ओर से असंभव प्रतीत होने वाले काम को करने के बारे में बताती है। पेंगुइन ने सोमवार को अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के पांच साल पूरे होने पर जारी बयान में कहा कि यह पुस्तक स्वतंत्रता के समय की गई भूलों पर प्रकाश डालती है। इसकी परिणति अनुच्छेद 370 के अन्यायपूर्ण क्रियान्वयन के रूप में हुई।

    अपनी तरह की पहली किताब 

    यह पुस्तक 1949 में लागू किए जाने के बाद से ही अनुच्छेद 370 के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों पर चर्चा करती है। प्रकाशकों का दावा है कि यह किताब मोदी सरकार पर अपनी तरह की पहली किताब है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी सहित शीर्ष निर्णय निर्माताओं के साथ बातचीत के माध्यम से असल में निर्णय लेने की प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण किया गया है।

    विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी की प्रशंसा

    इस पुस्तक की विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी प्रशंसा
    की है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय का अत्यंत पठनीय विवरण, जिसने जम्मू-कश्मीर के विकास और सुरक्षा परिदृश्य को बदल राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया है। पुस्तक में इस पर प्रकाश डाला गया कि कैसे पहले के युग के राजनीतिक समीकरणों और व्यक्तिगत रुझानों का राष्ट्रीय भावना ने अंतत: प्रतिकार किया गया।

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