जहां गोलियों की आवाज़ थी, वहां अब सेब के बागों की खुशबू है — बदलाव की कहानी

तोपचांची। जहां कभी नक्सलियों की धमक सुनाई देती थी, वहां अब सेब की महक फैल रही है। तोपचांची के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र रोआम में इन दिनों सेब की खेती की शुरुआत की गई है।

इसकी शुरुआत पूर्व बीस सूत्री अध्यक्ष सह किसान विकास तिवारी ने किया है। सेब की खेती की शुरुआत कर वे दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

उन्हाेंने दो वर्ष पूर्व पांच हजार रुपया खर्च कर अपने एक मित्र से हिमाचल से 10 सेब का पौधा मंगवाया था। घर के पीछे जमीन पर 10 पौधे को लगाए और पूरी लगन के साथ दो वर्षों तक पौधे के पीछे मेहनत किया।

वर्तमान में आठ पौधों में फल लगा है। इसका उपयोग फिलहाल वे स्वयं कर रहे हैं। सेब का फल लगने के कारण पूरे प्रखंड में विकास तिवारी चर्चा के केंद्र बन गए हैं। सेब की उपज कर किसानों व आमजनों के बीच उन्होंने यह संदेश दिया है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से बदनाम तोपचांची में बदलाव की बयार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले यहां के किसान सब्जी का उत्पादन कर रहे थे। आज सेब की खेती की कोशिश कर रहे हैं। उसमें सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं।

उनके बगीचे में सेब के पौधों के साथ अंबिका तथा अरुणिका प्रजाति के आम के पौधे भी लगे हुए हैं। जिसमें हर वर्ष फल आता है। उन्होंने बताया कि सेब की खेती को उन्होंने परीक्षण के तौर पर शुरू किया था, जिसमें उन्हें सफलता मिली है।

सरकार अगर उन्हें मदद करे तो बड़े पैमाने पर सेब की खेती कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अभी हिमाचल तथा कश्मीर में सेब पेड़ पर ही लगा हुआ है लेकिन उनके द्वारा लगाए गए पौधे में सेब पूरी तरह से तैयार हो गया है।

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