महिला आयोग सदस्य का ‘अधूरी तैयारियों’ पर फूटा गुस्सा: ‘गला सूखा है, पानी भी नहीं दिया’, लगाई कड़ी फटकार

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां राज्य महिला आयोग की सदस्य अर्चना पटेल को उरई स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में एक गिलास पानी तक नसीब नहीं हुआ. इतना ही नहीं महिला आयोग की सदस्य ने जिला प्रोविजन अधिकारी को फोन करके पानी की मांग की, इसके बावजूद भी उन्हें पानी नहीं दिया गया. घटना को लेकर अब प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. वहीं अधिकारियों को फोन करते हुए पानी मांगने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

जानकारी के अनुसार, राज्य महिला आयोग की सदस्य अर्चना पटेल सोमवार को जालौन की जिला मुख्यालय उरई स्थित पीडब्ल्यूडी विभाग के गेस्ट हाउस में पहुंचीं थीं. वह वहां राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उरई के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पहुंची हुई थी, मगर राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव के उरई में देरी से पहुंचने के कारण उन्हें पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में उनका इंतजार करना पड़ा. राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष के इंतजार के दौरान उन्हें पानी तक नहीं उपलब्ध कराया गया.

‘गेस्ट हाउस में नहीं मिला एक गिलास पानी’

महिला आयोग की सदस्य अर्चना पटेल का कहना है कि वह काफी देर से गेस्ट हाउस में बैठी थीं, लेकिन किसी भी कर्मचारी ने न तो उनसे पानी पूछा और न ही कोई व्यवस्था की. जब गला सूखने लगा और हालत असहज होने लगे तो उन्होंने अधिकारियों को फोन कर कहा कि यहां बैठे हुए काफी देर हो गई, लेकिन अब तक एक गिलास पानी भी नहीं मिला. गला सूख रहा है.

हैरानी की बात यह रही कि अधिकारियों को फोन किए जाने के बावजूद भी वहां मौजूद स्टाफ ने कोई सुध नहीं ली. अंत में संवैधानिक पद पर बैठी अर्चना पटेल को बिना पानी पिए ही गेस्ट हाउस छोड़कर जाना पड़ा.

इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें अर्चना पटेल अधिकारियों से फोन पर शिकायत करती नजर आ रही हैं. यह वीडियो वायरल होते ही जिले के प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया.

सरकारी व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

एक राज्य स्तरीय महिला आयोग की सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार होना, न केवल अमर्यादित है बल्कि यह सरकारी व्यवस्था की लापरवाही को भी उजागर करता है. सवाल यह भी उठता है कि अगर एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो आमजन को क्या सुविधाएं मिलती होंगी?

इस घटनाक्रम के बाद स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई सामाजिक संगठनों ने भी इसे अधिकारियों की लापरवाही बताते हुए खेद व्यक्त किया है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

वहीं, सूत्रों की मानें तो इस मामले को लेकर शासन स्तर पर भी रिपोर्ट भेजी जा सकती है. पीडब्ल्यूडी विभाग से और जिला प्रोविजन अधिकारी से भी स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है कि आखिर गेस्ट हाउस में बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं दी गईं. यह घटना न केवल सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि अतिथि देवो भव की भावना अब सरकारी दफ्तरों में खोती जा रही है.

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