दिव्यांग बेटी के साथ हैवान पिता ने किया दुष्कर्म

 विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट वीरेंद्र कुमार की न्यायालय ने गुरुवार को दिव्यांग व मानसिक रूप से अस्वस्थ पुत्री के साथ दुष्कर्म करने के मामले में निर्णय सुनाया। आरोपित पिता को दोषसिद्ध पाते प्राकृतिक जीवन का कारावास (पूरे जीवन तक कैद) और दो लाख रुपये का अर्थदंड की सजा सुनाई।

अभियुक्त तीन माह से दिव्यांग पुत्री के साथ दुष्कर्म करता रहा। जिससे वह गर्भवती हो गई और एक बच्ची को भी जन्म दिया है। न्यायालय ने मानवीय दृष्टिकोण से दुष्कर्म पीड़िता के बच्ची के नाम अर्थदंड की आधी धनराशि का बैंक में साविधि जमा करने के लिए निर्देशित किया है। अभियुक्त अभी भी जेल में निरुद्ध है। त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के एक गांव का यह मामला है।

लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट वपन कुमार कर पाठक ने न्यायालय को बताया कि त्रिलोकपुर थाना में सात जनवरी को पीड़िता की मां ने प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप लगाया कि मानसिक रूप से अस्वस्थ और दिव्यांग नाबालिग छोटी पुत्री के साथ उसके पति दुष्कर्म कर रहे हैं। एक दिन वह बाथरूम में चक्कर खाकर गिर गई। उसका पटे भी निकला था, जब उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि पिता दुष्कर्म करते हैं। इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी। तीन मार्च को पुलिस ने विवेचना पूरी करने के बाद अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।

22 अप्रैल को न्यायालय में आरोप तय किया गया। इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई शुरू की। 31 मई को मां और 13 जून को पीड़िता ने न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराया। इस मामले में बीआरडी मेडिकल कालेज के दो चिकित्सक ने भी बयान दर्ज कराया है। न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार ने साक्ष्य व गवाहों के बयान के आधार आरोपित को दोषसिद्ध पाते हुए शेष प्राकृतिक जीवन तक कारावास की सजा सुनाई।

न्यायालय ने कहा : पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को किया कलंकित 

विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट वीरेंद्र कुमार की न्यायालय में सुनवाई के दौरान दुष्कर्म पीड़िता गर्भवती पुत्री ने एक बच्ची को जन्म दिया। न्यायालय ने इसे संज्ञान में लेते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त ने पुत्री के साथ दुष्कर्म किया, जिससे वह गर्भवती हो गई। एक पिता, जिसके आश्रय में बेटी सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करती है उसी पिता ने घृणित अपराध कारित किया।

पीड़िता के शरीर के साथ ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा के विरुद्ध भी अपराध है। भारतीय परिवेश में आज भी लड़कियां अपने पिता को ईश्वर का दर्जा देती हैं। अभियुक्त ने पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को कलंकित किया है। ऐसे अभियुक्त के साथ सहानुभूति रखना, पीड़िता के साथ अन्याय होगा।

भारतीय न्याय संहिता में दर्ज पहले मामले का ढाई माह में हुआ निर्णय 

विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट वीरेंद्र कुमार की न्यायालय ने ढाई माह में पुत्री के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता के मामले में निर्णय सुनाया। तीन मार्च को पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई शुरू की। भारतीय न्याय संहिता में यह मुकदमा दर्ज किया गया। संभवत: यह प्रदेश का पहला मामला है, जिसे भारतीय न्याय संहिता में दर्ज किया गया और जिसका निर्णय आया है।

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