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    ABVP vs ओपी राजभर: बाराबंकी लाठीचार्ज केस में गरमाई सियासत, कानूनी नोटिस से बढ़ा विवाद

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज प्रकरण के बाद सियासत लगातार गरमा रही है। गोंडा निवासी और एबीवीपी से जुड़े आदर्श तिवारी आजाद ने मंत्री ओपी राजभर को लीगल नोटिस भेजा है। इस मामले में बड़ी संख्या में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र घायल हुए थे। घटना को लेकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विरोध तेज कर दिया है। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के विवादित बयान ने राजनीतिक माहौल को और अधिक गर्मा दिया है। दरअसल सुभासपा मुखिया व कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को लेकर एक बयान दिया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि ओपी राजभर ने उन्हें गुंडा कहा। उनके इस बयान को एबीवीपी संगठन ने अपनी प्रतिष्ठा और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया है। एबीवीपी कार्यकर्ता लगातार उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। इसी क्रम में मंत्री के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई का रास्ता भी खोल दिया गया है।
      
    गोंडा निवासी और एबीवीपी से जुड़े आदर्श तिवारी आजाद ने एडवोकेट सिद्धार्थ शंकर दुबे के माध्यम से मंत्री ओपी राजभर को लीगल नोटिस भेजा है। इस नोटिस में मंत्री ओपी राजभर को पांच दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि 7 दिन के भीतर लिखित आश्वासन दें कि भविष्य में आप ABVP व किसी भी छात्र संगठन के खिलाफ ऐसी दुर्भावनापूर्ण भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे। नोटिस के जरिये साफ तौर से बताया गया है कि अगर निर्धारित समय सीमा में माफी नहीं मांगी जाती, तो मानहानि का दीवानी और आपराधिक मुकदमा दायर किया जाएगा।

    नोटिस में कहा गया है कि एबीवीपी दशकों से छात्र हितों और शिक्षा सुधार के लिए लोकतांत्रिक तरीक़े से संघर्षरत है। ऐसे संगठन को गुंडा कहना न केवल उसकी छवि को धूमिल करने का प्रयास है, बल्कि लाखों छात्रों के आत्मसम्मान पर भी आघात है। इसमें यह भी जोड़ा गया कि मंत्री ओपी राजभर का बयान राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित है और संगठन को बदनाम करने का षड्यंत्र है।इसके साथ ही एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर मंत्री ओपी राजभर ने सार्वजनिक मांफी नहीं मांगी तो वे इसे जनआंदोलन का रूप देंगे। छात्र संगठन ने यह भी कहा कि ओपी राजभर का बयान लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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