More

    संयुक्त खातों और एफडी में नाम जोड़ना पड़ सकता है भारी

    नई ‎दिल्ली। बैंक खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में परिवार के सदस्यों का नाम जोड़ना एक आम परंपरा है। लोग इसे सुविधा या भविष्य की प्लानिंग के तहत करते हैं। लेकिन टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, यह आदत अब परेशानी का कारण बन सकती है। आयकर विभाग से नोटिस आने की घटनाएं बढ़ रही हैं, खासकर उन लोगों को जिनकी खुद की कोई आय नहीं है। असल में इनकम टैक्स के नियमों के तहत बैंक, एनबीएफसी और म्यूचुअल फंड कंपनियों को बड़े लेन-देन की जानकारी सरकार को देनी होती है। उदाहरण के लिए, सेविंग अकाउंट में 10 लाख से ज्यादा जमा या निकासी, एफडी में 10 लाख रुपए से अधिक, और 2 लाख रुपए से ज्यादा के म्यूचुअल फंड निवेश की रिपोर्ट की जाती है। रिपोर्टिंग के दौरान सभी जॉइंट होल्डर्स का पीएएन नंबर दर्ज होता है, जिससे पूरी राशि हर होल्डर के एआईएस और टीआइएस में दिखाई देने लगती है। इससे टैक्स रिटर्न और आयकर विभाग के डेटा में अंतर आ जाता है और स्वतः नोटिस जारी हो सकता है। यह परेशानी गृहिणियों, रिटायर्ड लोगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ज्यादा गंभीर है। विशेषज्ञों की सलाह है कि आईटीआर भरने से पहले एआईएस की जांच करें और यदि लेन-देन आपकी आय से नहीं है तो उसे ‎कि ‎बिलांग टू अदर पेन के रूप में दर्ज करें। इसके अलावा बैंक स्टेटमेंट और गिफ्ट डीड जैसे दस्तावेज तैयार रखें ताकि जरूरत पड़ने पर विभाग को जवाब दिया जा सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि रिपोर्टिंग आवश्यक है, लेकिन नियमों में बदलाव कर गैर-आय वाले जॉइंट होल्डर्स को राहत दी जानी चाहिए।

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here