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    सुकमा में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 37 करोड़ का बोनस, आदिवासी परिवारों के चेहरे खिले

    सुकमा। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को बड़ा तोहफ़ा मिला है। वन विभाग ने अब तक 40 हज़ार से अधिक संग्राहकों के मुखियाओं के बैंक खातों में 37 करोड़ रुपये सीधे (DBT) ट्रांसफर किए हैं। जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण और संबंधित भुगतानों का कुल आंकड़ा 45 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है। शेष राशि का वितरण भी जल्द पूरा किया जाएगा।

    सहभागी शासन का नया मॉडल

    पिछले वर्षों में तेंदूपत्ता बोनस के नगद भुगतान में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की शिकायतें आम थीं। लेकिन इस बार पूरी प्रणाली को डिजिटल कर दिया गया है। मुख्य भुगतान से लेकर बुटाकटाई (छंटाई) जैसे सहायक भुगतान तक, सभी रकम सीधे खातों में पहुँची है। ग्राम स्तर पर पंचनामा तैयार कर ग्रामीणों की सहमति ली गई, जिससे यह पहल सहभागी शासन का उदाहरण बन गई है।

    रिकॉर्ड समय में भुगतान

    इस अभियान में 17,923 नए बैंक खाते खोले गए, जो पूरे राज्य में सर्वाधिक हैं। भुगतान की जानकारी प्रत्येक गांव के सार्वजनिक भवनों पर चस्पा की गई, ताकि पूरी पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, फ़ोनपे ऐप से 10% खातों की क्रॉस-जाँच भी की गई। महज तीन महीने में 37 करोड़ रुपये सीधे जमा होना नक्सल प्रभावित सुकमा के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

    विश्वास बहाली और भविष्य की दिशा

    वनमंडलाधिकारी अक्षय भोसलें ने कहा— “इस वर्ष संग्रहण में थोड़ी कमी रही है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसे बढ़ाने ठोस कदम उठाए जाएंगे। यह पहल केवल भुगतान व्यवस्था नहीं, बल्कि शासन और समाज के बीच विश्वास बहाली की दिशा में मील का पत्थर है।”

    नक्सल फंडिंग पर चोट

    डिजिटल भुगतान व्यवस्था से नकद लेन-देन पूरी तरह समाप्त हो गया है। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है, बल्कि नक्सलियों की तेंदूपत्ता आधारित फंडिंग को भी बड़ा झटका पहुँचा है। यह पहल मार्च 2026 तक सुकमा को नक्सल मुक्त बनाने के लक्ष्य की दिशा में अहम मानी जा रही है।

    आदिवासियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण

    सुकमा के आदिवासी परिवारों की आय का प्रमुख साधन तेंदूपत्ता है। सीधे खातों में राशि पहुँचने से उन्हें सुरक्षित, त्वरित और पारदर्शी आय मिल रही है। इससे वित्तीय समावेशन, डिजिटल जागरूकता और शासन पर भरोसा— तीनों को मजबूती मिली है।

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