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    बांके बिहारी मंदिर में टकराव तेज, सुप्रीम कोर्ट कमेटी और सेवायतों में समय को लेकर खींचतान

    मथुरा: उत्तर प्रदेश में मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर में सेवायतों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की नई व्यवस्था और समय वृद्धि के आदेशों की अनदेखी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के गठित हाईपावर मैनेजमेंट कमेटी के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। 29 सितंबर को दर्शन का समय बढ़ाने का निर्णय लिया गया था, जिसे 30 सितंबर से लागू करना था। लेकिन तीन दिन बाद भी सेवायतों ने नई समय सारिणी का पालन नहीं किया।

    कमेटी श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बेहतर करना चाहती है, जबकि सेवायत 2022 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए आदेश मानने से इनकार कर रहे हैं। कमेटी ने वीआईपी पर्ची पर रोक लगाई है, लेकिन दर्शन का समय बढ़ाने और कतारबद्ध दर्शन जैसी अन्य व्यवस्थाएं लागू नहीं हो पाई हैं। इसके चलते कमेटी और सेवायत आमने-सामने हैं। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईपावर मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया है। कमेटी ने मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाया, लेकिन सेवायत इसे मानने को तैयार नहीं हैं। तीन दिन बीत जाने के बाद भी गुरुवार तक सेवायतों ने दर्शन के लिए नई समय सारिणी का पालन नहीं किया। कमेटी ने अब तक तीन आदेश किए हैं, जिनमें से केवल वीआइपी पर्ची सिस्टम से दर्शन पर रोक लग सकी है।
     
    कमेटी के सचिव व डीएम सीपी सिंह ने इस मामले पर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए कमेटी गठित की है। हम पूजा-पद्धति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए सेवायतों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। कमेटी के आदेश का अनुपालन कराया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता आरके अग्रवाल ने कमेटी के आदेशों की अवहेलना के कानूनी पहलुओं कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी हाईपावर है। जब सरकार ने न्यास का एक्ट बनाया तो हाई कोर्ट का दखल अपने आप खत्म हो गया। मेरा मानना है कि हाईपावर कमेटी का आदेश न मानना, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। यह सीधे तौर पर न्यायालय की अवमानना है

    सेवायत इसे मानने को तैयार नहीं
    मंदिर में व्यवस्था प्रबंधन के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में मंदिर के चार सेवायत भी शामिल हैं। 29 सितंबर को हुई बैठक में मंदिर में दर्शन करीब ढाई घंटे बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय को 30 सितंबर से ही लागू करने का फैसला किया गया था। मंदिर प्रबंधन कमेटी ने नई समय सारिणी भी जारी कर दी थी। सेवायत इसे मानने को तैयार नहीं हैं। तीन दिन बाद गुरुवार को भी सेवायतों ने दर्शन के नए समय पर मंदिर के पट नहीं खोले। कमेटी ने रेलिंग लगाकर कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं को दर्शन कराने का निर्णय लिया था।

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