मुंबई: महाराष्ट्र में महायुति सरकार की अगुवाई कर रहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कड़क अंदाज सामने आया है। मुख्यमंत्री ने एक बड़े आदेश में कहा है कि राज्य के नगर निगमों का नेतृत्व केवल आईएएस अधिकारी ही करेंगे। मुख्यमंत्री फडणवीस ने मीरा-भाईंदर के पूर्व आयुक्त दिलीप ढोले और वसई-विरार के पूर्व आयुक्त अनिल पवार सहित छोटे नगर निगमों में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों की बाढ़ आने के बाद यह फैसला लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शहरी विकास विभाग को नियमों में बदलाव करने का निर्देश दिया है ताकि राज्य के 29 नगर निगमों के आयुक्त केवल आईएएस अधिकारी ही नियुक्त किए जाएं।
सिर्फ आईएएस को मिलेगी कमान
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जल्द ही राज्य के नगर निगमों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। महाराष्ट्र के ज्यादातर नगर निगम प्रशासकों के हवाले हैं, क्योंकि इलेक्टेड विंग का कार्यकाल पूरा हो चुका है। कुछ साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शासित कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 14 नगर निगमों को आईएएस-कैडर के अधिकारियों के नेतृत्व में अधिसूचित किया था। इनमें मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर, कोल्हापुर, कल्याण-डोंबिवली और वसई-विरार शामिल हैं। इस आदेश के बावजूद, राज्य सरकार राज्य कैडर या मुख्य अधिकारी (सीओ) कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति करती रही। अब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद बाकी नगर निगमों में भी IAS ही कमान संभालेंगे। वे ही कमिश्नर बनेंगे।
भ्रष्टाचार के मामलों ने बढ़ाई मुश्किल
यह सामने आया है कि मीरा भाईंदर नगर निगम (MBMC) जैसे कुछ मामलों में प्रमुख अधिकारी सीओ कैडर के भी नहीं थे। सामान्य प्रशासन विभाग और नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय राजनेताओं के लिए राज्य कैडर के अधिकारियों को नगर निगम प्रमुख के रूप में किया था। एमबीएमसी में सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के दो निजी सचिवों को आयुक्त नियुक्त किया था। उनमें से एक दिलीप ढोले था। उन्हें अगस्त 2023 में धन शोधन के एक मामले में ईडी की जांच का सामना करना पड़ा। पूर्व वसई-विरार आयुक्त अनिल पवार भी ईडी के शिकंजे में आ गए थे। पवार एक राज्य सेवा अधिकारी हैं जिन्हें आईएएस कैडर में पदोन्नत किया गया था। फडणवीस के निर्देश के बाद आने वाले दिनों में यूडीडी द्वारा बड़ा बदलाव किए जाने की संभावना बढ़ गई है। यह विभाग डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के पास है।