राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को पंजाब के एसबीएस नगर जिले में दिसंबर 2024 में पुलिस चौकी पर हुए ग्रेनेड हमले के मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. जांच में यह सामने आया है कि यह हमला प्रतिबंधित आतंकी संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य राज्य में आतंक और अस्थिरता फैलाना था.
एनआईए ने मोहाली स्थित विशेष एनआईए अदालत में जो आरोपपत्र दाखिल किया, उसमें युगप्रीत सिंह उर्फ युवी निहंग, जसकरण सिंह उर्फ शाह, और हरजोत सिंह उर्फ जोत हुंदल को आरोपी बनाया गया है.
तीनों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं. एनआईए के अनुसार, इस आतंकी हमले की योजना और क्रियान्वयन में विदेश से संचालित आतंकी नेटवर्क की स्पष्ट भूमिका सामने आई है.
कनाडा से आतंकियों को मिला था फंड
एजेंसी की प्रारंभिक जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि यूके में मौजूद केजेडएफ आतंकी जगजीत सिंह लाहिड़ी उर्फ जग्गा, जिसे जग्गा मियापुर और हरि सिंह के नाम से भी जाना जाता है, ने युगप्रीत सिंह की भर्ती की थी. जग्गा ने एक एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन के जरिए उसे कट्टरपंथी बनाया और सीधे निर्देश दिए.
आधिकारिक बयान के अनुसार, युगप्रीत सिंह को कनाडा स्थित कुछ संदिग्ध संस्थाओं के जरिए 4.36 लाख रुपए की आतंकी फंडिंग दी गई थी, जिनकी पहचान कर ली गई है और जांच जारी है.
फंडिंग के जरिए हथियार, ग्रेनेड और अन्य संसाधन उपलब्ध कराए गए थे. एनआईए ने यह भी बताया कि नवंबर 2024 में तीनों आरोपियों को विदेशी आकाओं द्वारा ग्रेनेड सौंपे गए थे.
आतंक फैलाने की रची थी साजिश
हमला 1-2 दिसंबर 2024 की रात को एसबीएस नगर जिले के अस्रोन पुलिस चौकी पर हुआ था, जहां ग्रेनेड फेंकने की घटना ने राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया था. हालांकि हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इसे राज्य में आतंक फैलाने की साजिश के रूप में देखा गया.
एनआईए के अनुसार, इस हमले का उद्देश्य पंजाब में कानून-व्यवस्था को चुनौती देना, संवेदनशील स्थलों पर हमले करना और लक्षित हत्याओं को अंजाम देना था. जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल एक हमला नहीं, बल्कि खालिस्तानी आतंकियों की एक संगठित अंतरराष्ट्रीय साजिश है.
एनआईए ने बताया कि वह इस मामले में आगे की जांच जारी रखे हुए है और अन्य विदेशी संचालकों की भूमिका की भी गहराई से जांच की जा रही है. एजेंसी का लक्ष्य इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचना और भारत विरोधी ताकतों के मंसूबों को विफल करना है.