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    ग्वालियर में ‘सोने की लूट’ परंपरा कायम, सिंधिया परिवार की 400 साल पुरानी रस्म में उमड़ा जनसैलाब

    ग्वालियर: सिंधिया राजघराने में अनुष्ठान और विशेष पूजा-पाठ का काफी महत्व है। यहां सदियों से चली आ रही परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। ऐसा ही मौका था पवित्र शमी पूजन का , जिसमें जैसे ही महाराज ने तलवार से शमी को स्पर्श किया तो सोना लूटने के लिए लोगों में होड़ मच जाती है। सिंधिया राजपरिवार की परंपराओं का नज़ारा एक बार फिर ग्वालियर में देखने को मिला। दशहरा मैदान में शनिवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पुत्र महाआर्यमन सिंधिया के साथ पवित्र 'शमी' पूजन कर परंपरा का निर्वहन किया। इस मौके पर सिंधिया रियासत के दरबारी भी अपनी पारंपरिक राजसी वेशभूषा में मौजूद रहे।

    तलवार से किया स्पर्श और 'सोना' लूटने की होड़
    शमी पूजन के दौरान महाराज सिंधिया ने तलवार से शमी के पेड़ को स्पर्श कर पूजा-अर्चना की। जैसे ही उन्होंने शमी के पेड़ को तलवार से छुआ, वैसे ही हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी और लोग परंपरागत रूप से शमी की पत्तियां लूटने के लिए दौड़ पड़े। शमी की पत्तियां सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं, इसी वजह से लोग इन्हें पाने के लिए उत्साह के साथ जुटे।

    शाही अंदाज, राजसी परंपरा और इतिहास की झलक
    पूजन के दौरान दशहरा मैदान में हजारों की संख्या में सिंधिया समर्थक और परिवार से जुड़े लोग मौजूद रहे। पूरे आयोजन के दौरान शाही अंदाज, परंपरागत रस्में और सिंधिया घराने की ऐतिहासिक धरोहर का विशेष महत्व देखने को मिला। ज्योतिरादित्य सिंधिया और महाआर्यमन सिंधिया दोनों ही शाही पोशाक में नजर आए, जिससे माहौल और भी भव्य बन गया।

    सदियों से चली आ रही परंपरा
    शमी पूजन की यह परंपरा सिंधिया राजघराने में वर्षों से चली आ रही है। दशहरे पर इसे विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि इसे शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। हर साल दशहरा पर्व पर सिंधिया परिवार द्वारा किए जाने वाले इस शमी पूजन का ग्वालियर और आसपास के क्षेत्रों में लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस बार भी पूजन कार्यक्रम ऐतिहासिक गरिमा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ।

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