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    हनुमान बेनीवाल ने कहा: नागौर SP को BJP की नेत्री के घर के बाहर बैठना चाहिए, विवाद खड़ा

    नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने जिले की पुलिस और एसपी नारायण टोगस पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी कार्यशैली को संवेदनहीन करार दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बेनीवाल ने एक पुलिसकर्मी के पुत्र की हिरासत और उसके पिता की दुखद स्थिति का वर्णन किया। उन्होंने नव नियुक्त डीजीपी राजीव शर्मा से मामले में हस्तक्षेप की अपील की और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।

    हनुमान बेनीवाल ने सुनाई व्यथा

    सांसद हनुमान बेनीवाल ने बताया कि बीती रात नागौर पुलिस ने कार्मिक रामप्रकाश के पुत्र राहुल को हिरासत में लिया। आरोप था कि राहुल ने 2019 में एक पूर्व सांसद की फेसबुक पोस्ट पर आपत्तिजनक कमेंट किया था, जब वह नाबालिग था। राहुल को सुबह 11 बजे से थाने में बैठाकर कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया। रामप्रकाश ने कोतवाल और सर्कल ऑफिसर (सीओ) से अपने बेटे की रिहाई की गुहार लगाई, लेकिन उनकी याचना को अनसुना कर दिया गया। इससे आहत रामप्रकाश देर रात ताउसर रेलवे फाटक की ओर चले गए।

    रेलवे स्टाफ ने रामप्रकाश की मोटरसाइकिल लावारिस हालत में देखकर पुलिस को सूचना दी। अनहोनी की आशंका के चलते पुलिस ने रात 2 बजे राहुल को उपखंड अधिकारी के समक्ष पेश कर जमानत पर रिहा करवाया। तब तक रामप्रकाश के गायब होने की खबर से उनके परिजन चिंतित हो गए।

    RLP टीम ने रात भर खोजबीन की

    बेनीवाल ने बताया कि रात 2:13 बजे उन्हें फोन आया, जिसके बाद उन्होंने अपनी RLP टीम को रामप्रकाश की तलाश के लिए भेजा। पुलिस और RLP टीम ने रात भर खोजबीन की, लेकिन एसपी कथित तौर पर निष्क्रिय रहे। सुबह 6 बजे रामप्रकाश रेलवे पटरियों के पास बेहोशी की हालत में मिले। उन्हें पहले नागौर अस्पताल ले जाया गया, फिर गंभीर हालत के कारण जोधपुर रेफर किया गया।

    बेनीवाल ने नागौर पुलिस की कार्यशैली को ‘नाकारा’ बताया और राहुल की हिरासत को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने एसपी टोगस पर अवैध खनन और वसूली में लिप्त होने का आरोप लगाया।

    इशारों में ज्योति मिर्धा पर साधा निशाना

    बेनीवाल ने इशारों में पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा पर निशाना साधते हुए कहा कि एसपी एक पार्टी विशेष के इशारों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इस पूरे मामले को देखने से यह भी लग रहा है कि जिले के पुलिस कप्तान को सरकारी दफ्तर में ना बैठकर भाजपा की एक नेत्री व पूर्व सांसद के घर के बाहर फाटक पर बैठ जाना चाहिए, ताकि लोग पुलिस की संवेदनशीलता पर सवाल तो खड़े नहीं करें।

    उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यक्ति को कोई दबा नहीं सकता मगर नागौर के SP जिस तरह अपने फर्ज को भुलाकर एक पार्टी विशेष के कुछ लोगों की हाजरी बजाने में व्यस्त हैं, उससे यह लग रहा है कि मुख्यमंत्री स्तर पर जिलों की कानून व्यवस्था तथा जिलों में कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाल रहे अफसरों की कोई मॉनिटरिंग भी नहीं हो रही है। यह पूरा मामला राजस्थान सरकार के खोखले दावों और नागौर पुलिस के संवेदनहीन तंत्र की सच्चाई को उजागर करता है।

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