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    भारत का आतंकवाद के मामले पर चीन को सख्त संदेश, कहा लागू हो ‘जीरो टॉलरेंस’की नीति

    नई दिल्ली।शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से ठीक चौबीस घंटे पहले यानी भारत के विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर की चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बीजिंग में एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक हुई। जिसमें जयशंकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज के साथ साफ शब्दों में चीन को आतंकवाद के खिलाफ बनी हुई भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’(शून्य सहिष्णुता) की नीति को न केवल स्पष्ट कर दिया। बल्कि ड्रैगन से भी मामले पर अपनी जैसी समान नीति को ही बनाए रखने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा हम दोनों एससीओ फॉर्मेट की विदेश मंत्रियों की बैठक में मिलेंगे। जिसका प्राथमिक मैंडेट आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से मुकाबला करना ही है। यह मामला समूह की एक साझा चिंता भी है। इस दृष्टिकोण से भारत उम्मीद करता है कि आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति समूह में कड़ाई के साथ लागू होगी। इसके अलावा जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 के मध्य में हुए एलएसी विवाद के संबंध में तनाव घटाने के लिए डी-एक्सलेशन (सीमा पर तनाव को कम करना) पर ध्यान केंद्रित पर बल दिया। दोनों के बीच वैश्विक और घरेलू मुद्दों पर भी चर्चा हुई। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने 14 जुलाई को एक बयान जारी कर दी। बताते चलें कि विदेश मंत्री डॉ.जयशंकर एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा पर हैं। इससे पहले उन्होंने सिंगापुर का दौरा किया था। चीन के विदेश मंत्री से पहले जयशंकर ने चीन के उप-राष्ट्रपति हान झेंग के साथ मुलाकात की थी।     
    आतंकवाद के बहाने चीन संग पाक को संदेश
    जानकारों का मानना है कि एससीओ की बैठक से ऐन पहले आतंकवाद के मामले पर भारत का रुख साफ करने के पीछे विदेश मंत्री जयशंकर की मंशा बीते जून महीने में चीन में हुई समूह के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद जारी किए जाने वाले संयुक्त घोषणापत्र में जानबूझकर पहलगाम आतंकी हमले की घटना को शामिल न करने की चीन-पाकिस्तान की नापाक मिलीभगत पर लगाम लगाने की कोशिश का हिस्सा हो सकती है। जिससे भारत के दोनों निकट प्रतिद्वंदी देश समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले इस संबंध में जरूरी सबक हासिल कर सकें। एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम आतंकी हमले के बाद की गई भारत की जवाबी कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह पहला ऐसा मौका होगा। जब भारत, पाकिस्तान और चीन के विदेश मंत्री एससीओ के मंच पर एक-साथ मौजूद रहेंगे। बैठक से इतर जयशंकर की समूह के बाकी भागीदार देशों के अपने समकक्ष मंत्रियों, प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें होंगी। लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के साथ डॉ.जयशंकर की ऐसी किसी बैठक की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले में पाक समर्थित टीआरएफ के आतंकियों ने कुल 26 निर्दोष नागरिकों की बड़ी ही बेरहमी से उनका धर्म पूछकर हत्या कर दी थी। जिसमें 25 भारतीय और 1 नेपाल का नागरिक शामिल था।

     
    शीर्ष नेतृत्व की बातचीत के बाद संबंधों में सुधार  
    जयशंकर ने कहा कि रूस के कजान में अक्टूबर-2024 में हुई दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों (पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग) की बैठक के बाद के नौ महीने में संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में हम अच्छी प्रगति के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आगे भी इस गति को जस का तस बनाए रखने की जिम्मेदारी भी हमारी है। शीर्ष स्तर पर हुई बातचीत का परिणाम सीमा पर तनाव वाले इलाकों के समाधान के रूप में निकला है और अब हमें इस शांति और सौहार्द को बनाए रखना है। क्योंकि यही हमारे आपसी सामरिक विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों के सहज विकास का मूलभूत आधार है। साथ ही इसी दौरान हमें सीमा से जुड़े अन्य विषयों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिसमें सीमा पर तनाव घटाना (डी-एक्सलेशन)  शामिल है।

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