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    झारखंड सरकार की ई-नीलामी से बालू खनन में हुआ मुनाफा, रांची और खूंटी ने सबसे ज्यादा योगदान दिया

    झारखंड सरकार की नई बालू खनन नीति-2025 ने राज्य को राजस्व के क्षेत्र में नई ऊंचाई दिलाई है। इस नीति के तहत पहली बार हुई ई-नीलामी ने सरकार के खजाने को भरने के साथ-साथ पारदर्शिता और विश्वास का नया अध्याय भी खोला है। राजधानी रांची और खूंटी जिले ने इस नीलामी में सबसे अधिक योगदान दिया और कुल 347.55 करोड़ रुपए की आमदनी दर्ज की गई।

    राजधानी रांची ई-नीलामी में सबसे आगे रही। यहां 19 बालू घाटों की नीलामी से ही सरकार को 246.27 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। इसमें ग्रुप-ए से 80.49 करोड़ रुपए, ग्रुप-बी से 100.47 करोड़ रुपए और ग्रुप-सी से 65.30 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। इस बोली में एनकेएएस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और समर्थ-एड-प्रोटेक्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों ने बड़ी सफलता हासिल की। विशेषज्ञों का मानना है कि रांची की यह उपलब्धि न केवल राजधानी की अहमियत को दर्शाती है बल्कि खनन क्षेत्र में निवेशकों के बढ़ते भरोसे को भी बताती है।

    खूंटी जिले में हुई नीलामी भी सरकार के लिए बेहद सफल रही। यहां के तीन ग्रुपों की नीलामी से 101.28 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। इसमें ग्रुप-ए से 32.07 करोड़ रुपए, ग्रुप-बी से 30.74 करोड़ रुपए और ग्रुप-सी से 38.46 करोड़ रुपए की आय दर्ज हुई। इस नीलामी में एस्बोलस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और एयरो सॉफ्ट हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों ने सबसे ऊंची बोली लगाकर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।

    अधिकारियों का कहना है कि ई-नीलामी प्रणाली ने न केवल सरकार की आमदनी बढ़ाई है, बल्कि बालू खनन क्षेत्र में भ्रष्टाचार और कालाबाजारी की गुंजाइश भी समाप्त कर दी है। अब खनन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और इससे आम जनता को भी राहत मिलेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल झारखंड की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और मजबूती लाएगी। साथ ही सरकार के पास विकास योजनाओं में निवेश करने के लिए और संसाधन उपलब्ध होंगे।

    सरकार को उम्मीद है कि आने वाले चरणों में अन्य जिलों की नीलामी से भी और अधिक राजस्व प्राप्त होगा। इससे राज्य के खजाने में भारी वृद्धि होगी और झारखंड विकास की नई राह पर आगे बढ़ सकेगा। रांची और खूंटी की यह सफलता साबित करती है कि सही नीति और पारदर्शिता से राज्य की तस्वीर बदली जा सकती है।

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