विधायक दीपचंद खैरिया ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर खैरथल-तिजारा जिले का नाम भर्तृहरि नगर करने के निर्णय का विरोध किया। उन्होंने विकास कार्यों की मांग करते हुए कहा कि जिले को नाम नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में सुधार की जरूरत है।
मिशनसच न्यूज, किशनगढ़ बास। खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर “भर्तृहरि नगर” किए जाने के निर्णय को लेकर स्थानीय राजनीति में गर्माहट बढ़ गई है। विधायक दीपचंद खैरिया ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है और इसे जनहित के विपरीत बताया है। उन्होंने कहा कि खैरथल-तिजारा जिले को नाम नहीं, बल्कि वास्तविक विकास की आवश्यकता है।
खैरिया ने अपने पत्र में लिखा कि उन्हें इस नाम परिवर्तन की जानकारी समाचार पत्रों और वन एवं पर्यावरण मंत्री व अलवर सांसद भूपेंद्र यादव के सोशल मीडिया पोस्ट से मिली। इस निर्णय को लेकर आमजन में रोष है और इसे बदलने की मांग तेज है। उन्होंने कहा कि राजर्षि भर्तृहरि का सम्मान पूरे देश में है, लेकिन उनके नाम का इस्तेमाल जिले के नामकरण में करना जरूरी नहीं है।
भर्तृहरि के नाम से पर्यटन को बढ़ावा देने की बात
विधायक खैरिया ने सुझाव दिया कि अलवर जिले में पहले से ही भर्तृहरि पैनोरमा मौजूद है, जो ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। थानागाजी के पास सरिस्का में स्थित भर्तृहरि स्थल पर लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन वहां जाने का मार्ग बेहद क्षतिग्रस्त है। उन्होंने मांग की कि सरकार विशेष कॉरिडोर बनाकर इस मार्ग को सुधारें ताकि धार्मिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिल सके।
खैरथल में विकास कार्यों की मांग
पत्र में खैरिया ने सरकार से सवाल किया कि अब तक खैरथल में कौन-से विकास कार्य किए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गुरुग्राम की तर्ज पर खैरथल के विकास की घोषणा करने के बाद भी सरकार ने न केवल नए कार्य शुरू नहीं किए, बल्कि पूर्व में स्वीकृत परियोजनाओं को भी रोक दिया।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि खैरथल बाईपास पर ओवरब्रिज के निर्माण के लिए पूर्व सरकार ने 50 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने एक साल से उसका टेंडर रोक रखा है। जिला चिकित्सालय और स्वीकृत सैटेलाइट अस्पताल का बजट भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है।
शिक्षा और खेल सुविधाओं पर जोर
खैरिया ने कहा कि किशनगढ़ बास में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम के लिए पूर्व सरकार द्वारा भूमि और बजट स्वीकृत किया गया था, जिसे भी रोक दिया गया है। नगर परिषद और सरकार को ऑडिटोरियम एवं बड़े सभा भवन का प्रस्ताव भेजने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि उन्होंने क्षेत्र में कई स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोले, लेकिन मौजूदा सरकार उनमें पर्याप्त स्टाफ तक नियुक्त नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि जिले को अच्छे शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सा सुविधाओं, युवाओं के रोजगार अवसरों और उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल की आवश्यकता है, न कि नाम बदलने की।
खैरथल की भौगोलिक और आर्थिक क्षमता
खैरथल मुख्यालय से 10-15 किलोमीटर के दायरे में चार तहसील मुख्यालय स्थित हैं – खैरथल, किशनगढ़, हरसोली और मुण्डावर। खैरथल-किशनगढ़ बास जुड़वां शहर की तरह हैं, जहां 700 बीघा से अधिक सरकारी भूमि, औद्योगिक क्षेत्र, प्रसिद्ध कृषि उपज मंडी, रेलवे स्टेशन और एक्सप्रेस हाईवे की उपलब्धता है। विधायक का कहना है कि यह सब इसे जिला मुख्यालय के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बनाते हैं।
मुख्यमंत्री से मांग
विधायक खैरिया ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जिले के नाम परिवर्तन के निर्णय को वापस लिया जाए और मुख्यालय को लेकर स्थिति स्पष्ट की जाए। उन्होंने खैरथल में कार्यालयों के भू-आवंटन प्रस्तावों को मंजूरी देकर निर्माण कार्य शुरू करने की भी मांग की।