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    मंदसौर में बच्ची से दुष्कर्म मामला: फांसी पर लगी रोक, अदालत ने सुनाया अहम फैसला

    मंदसौर: मंदसौर के किला रोड इलाके में 9 साल पहले अबोध बच्ची के साथ हुए गैंगरेप के मामले में लंबी जिरह के बाद न्यायालय ने अब दोनों आरोपियों की फांसी की सजा टालते हुए जन्म कारावास की सजा सुनाई है. 26 जून 2018 को आरोपी इरफान मेवाती और उसके साथी आसिफ मेवाती ने 7 साल की छात्रा के स्कूल से लौटते वक्त गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था. इस मामले में स्थानीय कोर्ट ने दो महीने के भीतर ही फैसला देते हुए 31 अगस्त 2018 को दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी.

    आरोपियों ने फांसी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी

    हालांकि यह मामला हाई कोर्ट में भी चला और हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन आरोपी पक्ष ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने डीएनए एक्सपर्ट के बयान और मामले की पुनरीक्षण सुनवाई के लिए वापस स्थानीय कोर्ट को भेज दिया था. अब इस मामले में भोपाल डीएनए लैब के तकनीकी अधिकारियों के बयान भी हुए हैं.

    लंबी जिरह के बाद पोक्सो एक्ट की फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज श्रीमती शिल्पा तिवारी ने सोमवार को मामले में दोनों आरोपियों की फांसी को आजीवन कारावास में बदल दिया. मामले में अधिवक्ता आसिफ मंसूरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद जिला कोर्ट में मामले की दोबारा सुनवाई की गई. कोर्ट ने डीएनए एक्सपर्ट के बयान और जेल रिकॉर्ड के मुताबिक दोनों आरोपियों की फांसी की सजा की बजाय आजन्म कारावास की सजा सुनाई है.

    मामले की पुन जांच के बाद इसकी अग्रिम अपील की कार्रवाई करेगी सरकार

    मामले में तत्कालीन एसपी मंदसौर और वर्तमान रतलाम डीआईजी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि फैसले की आज ही जानकारी मिली है. कोर्ट ने इस मामले में दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामले की पुन जांच के बाद इसकी अग्रिम अपील की कार्रवाई की जाएगी.

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