नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने मध्य प्रदेश के सतना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास ने भी जब आंखें खोली तो हम उसे उन्नत स्वरूप में ही दिखे. उससे पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने इस सत्य को खोजा और इसके आधार पर एक पूरे राष्ट्र को बनाया उसेक काऱण भरतव मतसमय सम पर विशफअ को ये ज्ञान दे सकता है. गुरु
मोहन भागवत ने बीटीआई ग्राउंड में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे बहुत सारे सिंधी भाई यहां हैं. वो पाकिस्तान नहीं गए थे. वो अविभाजित भारत आए. ये आदत नई पीढ़ी तक जानी चाहिए क्योंकि हमारा एक घर है, परिस्थिति ने हमें उस घर से यहां भेजा है क्योंकि वो घर और ये घर अलग नहीं है. पूरा भारतवर्ष एक घर है. परंतु हमारे घर का एक कमरा, जिसने मेरा टेबल, कुर्सी और कपड़ा वगैरह रहता था. वो किसी ने हथिया लिया. कल मुझे उसे वापस लेकर वहां फिर से अपना डेरा डालना है और इसलिए याद रखना है कि ये अविभाजित भारत है.
भागवत ने अखंड भारत का संकल्प दोहराते हुए कहा कि हमें एक बात तय कर लेनी है कि भाषा-भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन ये हमें हमारा चाहिए. जैसा हमारी पंरपरा में है वैसा चाहिए. कभी कभी खुद को हिंदू ना कहने वाले भी जब विदेशों में जाते हैं तो उन्हें हिंदी या हिंदवी कहा जाता है. तब वो अचरज में पढ़ जाते हैं कि हम तो है नहीं. वो पूरी ताकत लगाकर मना करते हैं. ऐसा लगातार कहने के बावजूद दुनिया हमें आज भी हिंदू कहती है. इस सत्य को हम माने. हम सब लोग एक साथ रहे.
उन्होंने भाषा विवाद पर कहा कि भाषा अनेक है, भाव एक ही होता है. बहुत सारी भाषाएं मूल भाषा से ही निकली हैं. सारी भाषाएं भारत की राष्ट्र भाषा हैं. हर नागरिक को तीन भाषा कम से कम आनी चाहिए. घर, राज्य और राष्ट्र की भाषा आनी ही चाहिए. बता दें कि मोहन भागवत ने सतना में अपने प्रवास के दूसरे दिन रविवार को बाबा मेहर शाह दरबार की नवनिर्मित बिल्डिंग का उद्घाटन किया.