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    हिमालय को लांघ तिब्बत पहुंचा मॉनसून! साइंटिस्ट ने किया बड़ा दावा, खतरा भी जताया

    देहरादून: क्या अब मानसून की हवाएं हिमालय को लांघ तिब्बत पहुंच रही हैं? इस सवाल पर इन दिनों काफी चर्चाएं हो रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के सीनियर साइंटिस्ट ने इस तरह का दावा किया है. अभी तक यही कहा जाता है कि हिमालय भारत की दीवार है और ऐसा होना काफी मुश्किल है, लेकिन यदि ऐसा हो रहा है कि तो भविष्य के लिए ये अच्छा संकेत नहीं है. इसी मुद्दे को ईटीवी भारत ने विस्तार से जानने का प्रयास किया. साथ ही ये भी जाना कि अगर ऐसा हो रहा है कि तो भविष्य के लिए ये कितना बड़ा खतरा है.

    मौसम विभाग की मानें तो इस बार सेंट्रल हिमालय में पड़ने वाले उत्तराखंड, हिमाचल के अलावा वेस्टर्न हिमालय जैसे जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कुछ पर्वतीय इलाकों में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश हुई है. इन इलाकों में इस बार संभावित से ज्यादा बरसात देखी गई है.

    108 से लेकर 114 फीसदी तक ज्यादा बरसात दर्ज हुई: देहरादून मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार सेंट्रल हिमालय के साथ-साथ वेस्टर्न हिमालय में 108 से लेकर 114 फीसदी ज्यादा बरसात दर्ज की गई है. अगस्त का महीना बारिश के लिहाज से सबसे ज्यादा भारी रहा है. क्योंकि इस दौरान उत्तर भारत में मानसून ने अपना कहर बरपाया था. इससे सैकड़ों लोगों की जान भी गई थी और करोड़ों रुपए का नुकसान भी हुआ.

    अगस्त में ज्यादा बारिश का कारण: साइंटिस्ट अगस्त में उम्मीद से कई गुना ज्यादा बारिश होने का कारण इंडियन मॉनसून और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का एक साथ आना मानते हैं. देहरादून मौसम विभाग केंद्र के पूर्व मौसम निदेशक और वर्तमान में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र मुंबई के हेड विक्रम सिंह भी उत्तराखंड में झमाझम हुई बारिश का यही कारण मानते हैं.

    2013 में भी बने थे इसी तरह के हालात: विक्रम सिंह की मानें तो जलवायु परिवर्तन (Climate change) के चलते पिछले कुछ सालों से लगातार वेदर सिस्टम में कुछ अनोखे बदलाव देखने को मिल रहे हैं. साल 2013 में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था, जिसकी वजह से जून 2013 में प्रदेश में भारी बारिश हुई थी. पिछले साल जुलाई 2024 में भी इसी तरह की स्थिति उत्तराखंड में देखने को मिली थी. वहीं, इस बार साल 2025 में भी जुलाई से लेकर अगस्त तक इसी तरह के हालात देखने को मिले हैं.

     

       

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