RNT मेडिकल कॉलेज की लापरवाही जारी: वाटर कूलर में फिर करंट, डॉ. रवि शर्मा की मौत के बाद भी नहीं सुधरे हालात

Udaipur Medical College : उदयपुर के रविंद्रनाथ टैगोर (RNT) मेडिकल कॉलेज के दिलशाद भवन पीजी हॉस्टल में वाटर कूलर में करंट की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। 18 जून को रेजिडेंट डॉक्टर रवि शर्मा की करंट लगने से मौत के बाद भी कॉलेज प्रशासन की लापरवाही सामने आई है।

बता दें, गुरुवार रात को छठे फ्लोर पर वाटर कूलर में फिर करंट का झटका लगा, जिसके बाद हॉस्टल में हंगामा मच गया। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है।

वाटर कूलर में फिर आया करंट

रेजिडेंट्स यूनियन के महासचिव डॉ. हितेष शर्मा के अनुसार, रात 10 बजे रेजिडेंट डॉ. जितेंद्र शर्मा वाटर कूलर से पानी पीने गए थे। नल छूते ही उन्हें करंट का झटका लगा। इसके बाद रेजिडेंट्स ने वाटर कूलर की जांच की, जिसमें स्विच बंद होने के बावजूद करंट की पुष्टि हुई।डॉक्टर्स ने वाटर कूलर को डोरी से सील कर चेतावनी नोटिस चस्पा किया और वीडियो बनाकर सबूत जुटाए। इसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. विपिन माथुर और महाराणा भूपाल चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. आरएल सुमन को मौके पर बुलाया गया।हैरानी की बात यह है कि दिलशाद भवन के चौथे फ्लोर पर भी नल और गीजर में करंट की शिकायत मिली। रेजिडेंट्स ने हॉस्टल गार्ड के साथ मिलकर इसकी जांच की, जिसमें करंट की पुष्टि हुई। यह वही वाटर कूलर है, जिसमें पहले डॉ. रवि शर्मा को करंट लगा था। कॉलेज प्रशासन बार-बार दावा करता रहा कि वाटर कूलर ठीक करा दिया गया है, लेकिन ताजा घटनाओं ने इन दावों की पोल खोल दी।

निलंबित वार्डन ने बिजली बोर्ड उखाड़ा

मामले की गंभीरता को देखते हुए रात 11 बजे प्रिंसिपल और अधीक्षक मौके पर पहुंचे। उनके साथ आए निलंबित चीफ वार्डन डॉ. नरेंद्र बंसल ने बिजली बोर्ड उखाड़ दिया, जिससे रेजिडेंट्स भड़क गए। प्रिंसिपल ने दावा किया कि PWD कर्मचारियों ने जांच की थी और तब करंट नहीं था। लेकिन रेजिडेंट्स का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था तक नहीं की गई।

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व सचिव डॉ. जतिन ने बताया कि बार-बार करंट की घटनाओं के बावजूद प्रशासन लीपापोती में जुटा है। रात 12 बजे तक हॉस्टल में हंगामा चलता रहा, जिसे पुलिस ने शांत कराया। रेजिडेंट्स ने सवाल उठाया कि आखिर इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या प्रशासन अब भी अपनी जवाबदेही से बचता रहेगा?

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