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    न मासूमियत, न पछतावा — बच्चों में बढ़ती क्रूरता का जिम्मेदार कौन?

    अहमदाबाद: बच्चों को जिस उम्र में पढ़ाई करनी चाहिए, उस उम्र में उनके हाथ से खून से सन रहे हैं। गुजरात के अहमदाबाद में 10वीं कक्षा के छात्र की हत्या ने एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है। अहमदाबाद के सेवेंथ स्कूल की घटी घटना कई मायनों में चिंताजनक है, क्योंकि यह घटना जिस स्कूल में घटी वह कुछ साल पहले तक अहमदाबाद के अच्छे स्कूलों में शुमार था। आईसीएसई बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल में 13 साल के छात्र ने न सिर्फ 15 साल के विद्यार्थी पर चाकू पर हमला किया, बल्कि उसे छात्र की मौत पर भी कोई अफसाेस भी नहीं हुआ। उसकी हिंसक प्रवृत्ति का खुलासा दोस्त के साथ चैट में हुआ है। एक्सपर्ट का कहना है कि घटना के बाद भी कोई पश्चाताप नहीं होना, यह छोटी बात नहीं है।

    यह घटना चिंताजनक नहीं अलॉर्म है

    अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त जी एस मलिक ने इस सनसनीखेज घटना की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी है। पुलिस ने आरोपी छात्र के साथ उसे चाकू देने वाले शख्स को कुछ और लोगों को हिरासत में लिया है। चूंकि चाकू मारने वाले छात्र की आयु 13 वर्ष के करीब है। ऐसे में पुलिस के हाथ भी बंधे हुए हैं। गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी इस घटना पर चिंता जताते हुए कहते हैं कि यह सिर्फ एक घटना नहीं है। 18 साल से कम उम्र के किशाेर अपराध में लिप्त हैं। वे मारपीट, चेन स्नैचिंग, रेप जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इन अपराधों की रोकने की जितनी जिम्मेदारी पुलिस की है। उससे ज्यादा परिवारों की भी है। अहमदाबाद के सेवेंथ डे स्कूल की घटना की जांच में सामने आया है कि चाकू मारने वाले छात्र की पहले भी शिकायतें सामने आई थीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से वह बेखौफ हो गया।

    परिवार नहीं झाड़ सकता पल्ला

    अहमदाबाद की घटना ने दो परिवारों का जहां तबाह कर दिया है तो वहीं लाखों परिजनों को सहमा दिया है कि स्कूल से उनका बच्चा सुरक्षित लौटेगा या फिर नहीं। राज्य सरकार ने अपने स्तर पर कोई बड़ा निर्देश जारी नहीं किया है लेकिन सूरत समेत कुछ शहरों के डीईओ ने छात्रों के बैग की सरप्राइज चेकिंग का आदेश दिया है। अहमदाबाद के जिस सेवेंथ डे स्कूल में यह घटना घटी। वह केरल के क्रिश्चियनों द्वारा संचालित निजी स्कूल है। आईसीएसई बोर्ड के स्कूल में बहुत सामान्य घरों के बच्चे नहीं पढ़ते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि बच्चे ने मामूली सी बात पर 10वीं के छात्र को चाकू क्याें मार दिया। उसका परिवार आखिर क्या कर रहा था? धक्का-मुक्की जैसी मामूली बात पर उनके बेटे ने दूसरे छात्र की जान ले ली। वे कोई भी तर्क दें लेकिन परिवार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है। मनोवैज्ञानिक मान रहे हैं कि जरूर छात्र गलत संगत में रहा होगा, या फिर वह हिंसक कंटेंट को देख रहा होगा।

    स्कूल से कहां पर हुई चूक?

    10वीं के छात्र की हत्या के बाद सेवेंथ डे स्कूल कठघरे में है। सवाल खड़ा हो रहा है कि जब पिछले एक साल में इस छात्र की कंप्लेन आई थीं तो स्कूल ने कड़ा एक्शन क्यों नहीं लिया? जांच में यह भी खुलासा हुआ है। पिछले कुछ सालों में इस स्कूल में अनुशासन टूट गया था, यही वजह थी कि स्कूल आईसीएसई के परिणामों में नीचे की तरफ खिसक गया था। जब यह सर्वविदित है कि बच्चों में इमोशनल ट्रॉमा, स्ट्रेस बढ़ने के साथ उनकी मानसिक स्थितियां तेजी से बदल रही हैं तो फिर स्कूल ने क्यों घटना का क्यों इंतजार किया। बच्चे ने बेहद छोटी से बात पर चाकू मार दिया। चिंताजनक पहलू यह है कि जब उसे उसके दोस्त बताया कि वह मर गया तो उसे तब भी अफसोस और सॉरी फील नहीं किया। इसका मतलब है कि उसने मारने के उद्देश्य से ही हमला किया था।

    मेंटालिटी चेंज होना बड़ी चुनौती

    अहमदाबाद के वरिष्ठ मनोचिकित्सक हंसल भाचेच कहते हैं कि हिंसक होने की प्रवृत्ति और फिर अफसोस नहीं होने की बड़ी वजह मेंटालिटी चेंज है। अपराध करने के बाद लोग खुद को जस्टीफाई करते हैं। ऐसे करने से अफसोस की संभावना खत्म हो जाती है। ऐसा ड्रिंक एंड ड्राइव, हिट एंन रन और छोटी बात पर हत्या और हत्या की कोशिश जैसी घटनाओं में खूब देखने को मिल रहा है। भाचेच कहते हैं दूसरी बड़ी वजह है कि ये देखकर सीख रहे हैं। एक परसेप्शन है कि कुछ भी करेंगे और बच कर निकल जाएंगे। तीसरी चीज है कि टॉलरेंस बिल्कुल खत्म हो चुका है। छोटे से प्रोवोकेशन को बर्दाश्त और गलती को सहन नहीं कर रहे हैं। इन चीजों ने किशोरों में पनपी हिंसक प्रवृत्ति को अलॉर्मिंग स्टेज में पहुंचा दिया है।

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