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     पीएम मोदी ने संघ की 100 सालों की यात्रा, हर स्वयंसेवक के लिए राष्ट्र प्रथम की भावना हमेशा सर्वोपरि 

    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की 100 सालों की उल्लेखनीय, अभूतपूर्व और प्रेरणादायक यात्रा की खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि आरएसएस स्वयंसेवकों के हर प्रयास में राष्ट्र प्रथम की भावना हमेशा सर्वोपरि रही है। पीएम मोदी ने कहा, अगले कुछ ही दिनों में हम विजयादशमी मनाने वाले हैं। इस बार कि विजयादशमी एक और वजह से बहुत विशेष होने वाली है। इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं। एक शताब्दी की संघ की ये यात्रा जितनी अद्भुत है, अभूतपूर्व है, उतनी ही प्रेरक है।
    पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल पहले जब संघ की स्थापना हुई थी, तब देशसदियों से गुलामी की जंजीरों में बंधा था। सदियों की गुलामी ने हमारे स्वाभिमान और आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचाई थी। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के सामने पहचान का संकट खड़ा हुआ था। देशवासी हीन-भावना का शिकार होने लगे थे। इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ ये भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो।
    इस दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को याद किया। उन्होंने कहा, हेडगेवार जी ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इस भागीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयादशमी के पावन मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उनके जाने के बाद गुरु जी ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया।
    उन्होंने कहा, परम पूज्य गुरुजी कहा करते थे, इदं राष्ट्राय इदं न मम यानी, ये मेरा नहीं है, ये राष्ट्र का है। इसमें स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा है। गुरुजी गोलवरकर जी के इस वाक्य ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा की राह दिखाई है। त्याग और सेवा की भावना और अनुशासन की सीख यही संघ की सच्ची ताकत है।

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