सांताक्रुज। एमएमआरडीए का कहना है कि सांताक्रुज- चेंबूर लिंक रोड (एससीएलआर) का काम पूर्ण हो गया है और इसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन अभी भी इस ब्रिज का कुछ काम अधूरा है, जिसमें लिपाई-पुताई, साइन लगाना तथा अन्य काम बाकी है। एमएमआरडीए ने 2016 में इस विस्तार परियोजना पर काम शुरू किया था, जिसकी प्रारंभिक समयसीमा 2019 तय की गई थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। फ्लाईओवर की डिजाइन में बदलाव करते हुए एक हिस्से को केबल-स्टे ब्रिज में परिवर्तित किया गया, भूमि अधिग्रहण की दिक्कतें सामने आईं और फिर 2020 की महामारी ने परियोजना को कई बार रोक दिया।
मात्र सिविल कार्य हुआ पूरा
मिली जानकारी के मुताबिक, सिविल कार्य अब पूरी तरह से पूर्ण हो चुका है, जबकि साइनज इंस्टॉलेशन, केबल-स्टे स्पैन के नीचे से अस्थाई सहारे हटाने, पेंटिंग व फिनिशिंग व स्ट्रीट लाइटिंग का कार्य प्रगति पर है। एससीएलआर दक्षिण एशिया का पहला केबल-स्टे ब्रिज है, जिसमें 100 मीटर का तीव्र क्षैतिज वक्र हॉरिजॉन्टल कर्व है। इसमें 215 मीटर लंबा स्पैन है, जिसमें ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक है, जो जमीन से 25 मीटर ऊपर है और वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के ऊपर से गुजरता है। इसकी चौड़ाई 10.5 मीटर से 17.2 मीटर तक है-यह दो लेन का वैâरिजवे है। वाई आकार के पायलन के कारण बीच में कोई सहारा नहीं है, जिससे मेट्रो लाइन 3 और नीचे की यूटिलिटीज की सुरक्षा होती है।
वाहन चालकों को हो रही परेशानी
जहां एससीएलआर और इसके विभिन्न चरण पहले ही खुल चुके हैं, वहीं अंतिम चरण जो सीधे वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से जोड़ेगा, अभी तक अधूरा था। फिलहाल, जो वाहन चालक चेंबूर या बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) से पश्चिमी उपनगरों की ओर जा रहे होते हैं, उन्हें एससीएलआर से हंस भुंग्रा मार्ग–पश्चिम एक्सप्रेस हाईवे के सिग्नल पर बाहर निकलना पड़ता है। वाकोला जंक्शन के ट्रैफिक सिग्नल को पार करना होता है और फिर आगे बढ़ना होता है। 2025 में जब एमएमआरडीए ने इस फ्लाईओवर विस्तार को पूरा करना चाहा तो चुनावों के कारण कार्य रुक गया। इसके चलते मुंबई ट्रैफिक पुलिस से ट्रैफिक ब्लॉकों की अनुमति मिलने में भी देरी हुई, जो अंतत: दिसंबर में मिली। इन कारणों से परियोजना की लागत भी 450 करोड़ से बढ़कर 650 करोड़ रुपए हो गई।’