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    आईसीआईसीआई बैंक के मामले पर आरबीआई का रुख साफ, गवर्नर ने दी सफाई

    व्यापार : बैंक खातों के लिए न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता से जुड़े मापदंड ऋणदाता खुद तय करते हैं और यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियामकीय क्षेत्राधिकार में नहीं है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को यह बात कही। केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने यह बयान 1 अगस्त 2025 से आईसीआईसीआई बैंक की ओर से न्यूनतम औसत जमा राशि (एमएबी) बढ़ाकर 50000 रुपये करने के बाद दिया है।

    आरबीआई ने न्यूनतम शेष राशि का निर्णय बैंकों पर छोड़ा 

    मल्होत्रा ने सोमवार को कहा कि आरबीआई ने न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता पर निर्णय लेने का काम बैंकों पर छोड़ दिया है। कुछ बैंकों ने इसे 10,000 रुपये रखा है, कुछ ने 2,000 रुपये, जबकि कुछ बैंक ने कोई आवश्यकता नहीं रखी है। यह नियामकीय क्षेत्राधिकार में नहीं है।

    आईसीआईसीआई बैंक ने न्यूनतम शेष राशि को पांच गुना बढ़ा दिया

    पिछले हफ्ते आईसीआईसीआई बैंक ने सभी ग्राहकों के लिए मासिक न्यूनतम औसत शेष राशि की अनिवार्यता बढ़ाए जाने के बाद उनसे इस पर टिप्पणी मांगी गई थी । 1 अगस्त या उसके बाद बचत खाते खोलने वाले महानगरीय और शहरी ग्राहकों को अब 50,000 रुपये का मासिक औसत बैलेंस रखना होगा। पहले यह सीमा 10,000 रुपये थी, जो पुराने ग्राहकों के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस बनी रहेगी।

    आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में आई एक प्रतिशत की गिरावट

    आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में सोमवार को 1% से अधिक की गिरावट आई। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

    एसबीआई समेत कई बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता समाप्त कर दी 

    देश के सबसे बड़े ऋणदाता, भारतीय स्टेट बैंक ने 2020 में ही न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता हटा दी थी, जिससे उसके सभी नियमित बचत खाते बिना किसी जुर्माने के प्रभावी रूप से शून्य-बैलेंस हो गए थे। पिछले कुछ महीनों में केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने भी ग्राहकों की सुविधा और वित्तीय समावेशन का हवाला देते हुए ऐसे नियमों को पूरी तरह से माफ कर दिया है।

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