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    राहत का सिलसिला जारी: सस्ते घरों के मानदंड में बड़ा बदलाव हो सकता है

    व्यापार: सरकार आम लोगों को राहतों का सिलसिला देने का काम आगे भी चालू रख सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार फरवरी में पेश होने वाले बजट में आम लोगों के लिए सस्ते मकानों की परिभाषा बदलने की योजना बना रही है। इसके तहत वर्तमान सीमा को बढ़ाया जा सकता है। अभी 45 लाख रुपये तक की कीमत वाले मकानों को अफोर्डेबल हाउसिंग यानी सस्ते घरों के वर्गीकरण के रूप में रखा गया है। लेकिन अब इसे महानगरों के लिए 55 लाख रुपये या फिर 60 वर्गमीटर किया जा सकता है।

    गैर महानगरों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 90 वर्गमीटर किया जा सकता है। इसके पीछे तर्क यह है कि अब आम आदमी को भी कम से कम 800-1000 वर्गफुट का दो या तीन बेडरूम, किचन और हाल यानी बीएचके की जरूरत होती है। दरअसल, कई रियल्टी संस्थान लंबे समय से सरकार से इस परिभाषा को बदलने की मांग कर रहे हैं। उनका इसके पीछे तर्क है कि 2017 में जब यह नियम बना था, तब से अब तक मकानों की कीमतें तो बढ़ी ही हैं, साथ ही महंगाई भी जमकर बढ़ी है। ऐसे में अब 45 लाख रुपये में दूसरे स्तर के शहरों यहां तक कि दिल्ली और मुंबई के आस-पास जो शहर हैं, वहां भी मकान नहीं मिल रहे हैं।

    रियल्टी संस्थानों की सरकार के साथ कई चरण की हो चुकी चर्चा
    सूत्रों ने बताया, इस संबंध में कई रियल्टी संस्थानों ने हाल में सरकार से बात की है और सरकार इस बार इस लंबी मांग को पूरा करने का विचार कर रही है। सरकार ने फरवरी में पेश बजट में आयकर में भारी राहत दी। फिर आरबीआई की रेपो दर में एक फीसदी की बड़ी कटौती और अब जीएसटी सुधार से लोगों को राहत तो मिली है, पर मकान खरीदारों को अब भी राहत नहीं मिली है।

    रियल्टी संस्थानों का कहना है कि जीएसटी सुधार से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ है। सीमेंट पर जीएसटी कटौती से उनका क्या लेना देना है? अगर सीमेंट कंपनियां या डीलर कीमतें घटाते हैं तो वे उतना फायदा तो दे देंगे, लेकिन यह घर खरीदारों के लिए कोई बहुत बडी़ राहत नहीं है। ऐसे में रियल्टी संगठन अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार कुछ राहत मिलेगी। सीधे तौर पर इस उद्योग को जीएसटी के सुधार से कोई फायदा नहीं हुआ है।

    टैरिफ से खरीद प्रभावित होगी
    रियल्टी कंसल्टेंट एनारॉक के अनुसार, भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ से किफायती घरों की बिक्री प्रभावित होने की संभावना है। इससे छोटे व्यवसायों और उनके कर्मचारियों की आय प्रभावित होगी, जो  45 लाख तक की आवासीय संपत्तियों के प्रमुख खरीदार हैं। एनारॉक ने बताया, कोविड-19 महामारी के बाद किफायती घरों की बिक्री और लॉन्च में पहले ही गिरावट आ चुकी है। 2025 की पहली छमाही में सात प्रमुख शहरों में बेची गई 1.9 लाख आवास इकाइयों में से केवल 34,565 इकाइयां किफायती श्रेणी में थीं।

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