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    सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने दिलाई शपथ

    काठमांडू: सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने शुक्रवार रात नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 73 साल की कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई.

    इसके साथ ही नेपाल में कई दिनों से जारी राजनीतिक अनिश्चितता का अंत हो गया क्योंकि कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के चलते मंगलवार को के पी शर्मा ओली को अचानक प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

     

     

      राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि नयी कार्यवाहक सरकार को छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने का दायित्व सौंपा गया है. नई प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल के प्रधान न्यायाधीश, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सुरक्षा प्रमुख और राजनयिक समुदाय के सदस्य शामिल हुए.

      इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और जेन जेड के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया. सूत्रों ने बताया कि अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कार्की विभिन्न हितधारकों के बीच बनी सहमति के अनुसार राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश कर सकती हैं.

      राष्ट्रपति पौडेल ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का फैसला करने से पहले प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक संस्थाओं के सम्मानित व्यक्तियों से भी अलग-अलग विचार-विमर्श किया.

      केपी शर्मा ओली सरकार के खिलाफ विरोध करने वाले जेन जी (Gen Z) की मांग थी कि वर्तमान संसद को भंग कर दिया जाए. उन्होंने ही सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव दिया था. सुशीला कार्की नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं. उनकी छवि स्वच्छ रही है. उन्हें एक ईमानदार न्यायाधीश माना जाता रहा है. उन्होंने बीएचयू से पढ़ाई की है.

      सुशीला कार्की ने बीएचयू से डिग्री ली है. उन्होंने यहां से 1974 में पॉलिटिकल साइंस में पीजी किया. उनका जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर नेपाल में हुआ है. वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हैं, जिन्होंने जुलाई 2016 से जून 2017 तक सेवा दी. वह अपनी ईमानदारी, संक्रमणकालीन न्याय तथा चुनावी विवादों पर ऐतिहासिक निर्णयों के लिए जानी जाती हैं.

       

       

        उन्होंने 1979 में वकालत शुरू की, 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं और 2009 से सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में कार्य किया. नेपाल के जेन जी आंदोलन ने उनकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता के लिए उनका समर्थन किया.

        आज दिन भर जेन जी के प्रतिनिधियों, सेना और राष्ट्रपति के बीच बातचीत चलती रही. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल हैं, जबकि अशोक राज सेना प्रमुख हैं. बातचीत के दौरान संसद भंग करने को लेकर बाधा उत्पन्न हो गई थी, लेकिन जेन जी अपनी मांग पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर संसद को जनता की इच्छा के अनुरूप बनाया जाना चाहिए. नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के मद्देनजर प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने शुक्रवार को संयुक्त बयान जारी किया.

        इस बयान में कहा गया है, "हम जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए जान-माल के नुकसान से स्तब्ध हैं. हम विरोध प्रदर्शनों के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सभी युवाओं और कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाने वाले पुलिस अधिकारियों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं, और शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. हम विरोध प्रदर्शनों के दौरान घायल हुए सभी लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं और संबंधित राज्य तंत्र से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि उपचार में कोई कमी न हो."

        नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 51 लोग मारे गए. छात्रों ने नेपाल में फैले भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर बैन को लेकर विरोध किया. उनका कहना है कि जब से नेपाल में प्रजातंत्र को अपनाया गया है, कुछ ही नेताओं के पास बदल-बदल कर सत्ता आती है और सभी के सभी करप्ट हैं. उनके अनुसार इन नेताओं ने अपने परिवारों के लिए बड़ी-बड़ी संपत्ति जमा कर ली है, लेकिन नेपाल के युवाओं के लिए कुछ नहीं किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नेपाल के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे देश जाना पड़ता है.

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