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    Homeराज्ययूपीकाशी विश्वनाथ धाम जैसा भव्य होगा रोपवे स्टेशनों का विशाल शिखर

    काशी विश्वनाथ धाम जैसा भव्य होगा रोपवे स्टेशनों का विशाल शिखर

    देश के पहले अर्बन रोपवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को धरातल पर उतारने की कोशिश है। 85 प्रतिशत कार्य पूर्ण हाे चुका है। नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने कैंट, रथयात्रा व विद्यापीठ स्टेशनों के ऊपर लगाए जाने वाले शिखर का स्वरूप तय किया है। पहले इसे गुंबद का आकार मिलना था, लेकिन अब इसे काशी विश्वनाथ धाम के शिखर जैसा भव्य स्वरूप देने पर सहमति बनी
    है, इसके लिए एनएचएलएमएल की तरफ से हैदराबाद की कंपनी विश्वसमुद्र को वर्कआर्डर जारी हुआ है। तीनों विशाल शिखर का निर्माण दिल्ली में शुरू हो चुका है। तीन माह में कार्य पूर्ण हो जाएगा।

    विद्यापीठ और कैंट स्टेशन पर स्थापित होने वाले भगवा रंग के शिखर की ऊंचाई 20 मीटर जबकि चौड़ाई 12 मीटर होगी। करीब 15 मीटर ऊंचा शिखर रथयात्रा स्टेशन पर लगेगा।

    बता दें कि तीनों स्टेशन के बीच कुल 18 टावर इंस्टाल हो चुके हैं। यह टावर 36 मीटर से 42 मीटर ऊंचे हैं। इन्हीं टावरों पर रोप इंस्टाल किया गया है। करीब आठ सौ करोड़ में परियोजना पूर्ण होनी है।

    3.85 किलोमीटर लंबी परियोजना में रोप के सहारे ही करीब 148 गोंडोला का संचालन होगा। सेक्शन एक में कैंट पर 90 जबकि रथयात्रा में 48 गोेंडोला रखा जाएगा। दोनों स्टेशनों के ऊपरी तल पर बड़ा गैराज बना है, यहीं पर गोंडोला की पार्किंग की जाएगी। कैंट, विद्यापीठ (भारत माता मंदिर) और रथयात्रा स्टेशन के कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

    दो महीने आगे खिसकेगी परियोजना, सितंबर थी समयसीमा

    गोदौलिया में अंतिम स्टेशन के निर्माण पर गतिरोध बना हुआ है। घोड़ा नाला के निकट टावर बनाने के लिए पाइलिंग के दौरान सामने आई मुश्किल के चलते परियोजना करीब दो महीने आगे खिसक गई है। अभी तक समयसीमा सितंबर तय की गई थी। यूपी जल निगम ने गतिरोध दूर करने के लिए 45 दिन की मोहलत मांगी है, तब तक यहां पर रोपवे का कार्य स्थगित रहेगा।

    ट्रायल रन की टेस्टिंग के लिए बिजली संकट, लौट जा रहे आस्ट्रिया के विशेषज्ञ

    बिजली की उपलब्धता नहीं होने से रोपवे लाइन का फुल लोड पर ट्रायल रन अधर में है, कारण कि मोनोकेबल डेटैचबल गोंडोला (केबल कार) को संपूर्ण भार पर संचालित करने की खातिर पूर्वांचल डिस्काम स्वतंत्र फीडर से बिजली आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर सका है। फुल लोड के साथ ही टेस्टिंग की जा सकती है। लोड का परीक्षण आस्ट्रिया के इंजीनियरों की निगरानी में होगा।

    कई बार विशेषज्ञ लौटकर चले गए। वह बनारस आते हैं तो तीन दिनों तक रुकते हैं, इसके लिए उन्हें छह से सात लाख रुपये भुगतान करना होता है। अब विशेषज्ञों को बिजली व्यवस्था सुचारू होने के एक माह पहले बुलाया जाएगा।

    रोपवे स्टेशन निर्माण की कार्य प्रगति

    • 60 प्रतिशत कैंट
    • 95 प्रतिशत काशी विद्यापीठ
    • 96 प्रतिशत रथयात्रा
    • 20 प्रतिशत गिरिजाघर
    • दो प्रतिशत गोदौलिया

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