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    दलित-पिछड़े वोट बैंक को साधने के लिए संघ की रणनीति तैयार, हिंदुत्व एजेंडे के साथ सामाजिक संदेश पर जोर

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज होने से पहले आरएसएस (संघ) हिंदुत्व के अजेंडे को धार देगा। लखनऊ के निराला नगर में चली भाजपा और संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक में कई मुद्दों पर सहमति बनी। विजय दशमी को पूर्ण गणवेश में निकलने वाला आरएसएस का पथ संचलन ऐतिहासिक होगा। इसमें संघ परिवार के सभी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता शामिल होंगे। संघ अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। ऐसे में यह भी तय किया गया कि बड़े पैमाने पर हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। यूपी में पंचायत और एमएलसी चुनाव होने है, उसके बाद 2027 में विधानसभा चुनाव होने है। उधर संघ का भी यह शताब्दी वर्ष है। संघ अपने शताब्दी वर्ष को भव्य तरीके से मनाने की तैयारी कर रहा है। इसी के साथ प्रदेश में हिंदुत्व को और उभार देने की कोशिश होगी। प्रदेश स्तर के साथ ही तहसील और ब्लॉक स्तर पर भी हिंदू सम्मेलन आयोजित होंगे। इसमें खासतौर से दलितों-पिछड़ों की भागीदारी सुनिश्चत करने पर जोर रहेगा। जातियों का बंधन तोड़कर सभी को एक मंच पर लाने की कोशिश होगी।

    कई विषयों पर हुआ मंथन
    संघ की तीन दिन की समूह समन्वय बैठकें मंगलवार को खत्म हो गई। इस दौरान आर्थिक, सुरक्षा, सामाजिक, सहकार, शिक्षा, सेवा व वैचारिक समूह के अलावा संघ के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों को लेकर मंथन हुआ। पूरी कवायद में विविध समूहों में पैठ बढ़ाने की रणनीति बनी। इस बीच संघ ने प्रदेश में अपने संगठनात्मक ढांचे को भी दुरुस्त किया है। सारी कवायद सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने को लेकर है। इसके लिए युवाओ, व्यापारियों, महिलाओं, श्रमिकों, किसानों के बीच कार्य करने वाले संघ के सभी संगठनों को सक्रिय किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इन समूह बैठकों में कई विषय ऐसे भी उठे, जिनमें फैसले सरकार के स्तर पर होने है। ऐसे सुझावों की सूची तैयार कर संघ पदाधिकारी इसे मुख्यमंत्री को देंगे।

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