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    मां राणी भटियाणीसा के जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर

    जैसलमेर : श्रावण मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी का पावन दिन जसोलधाम के लिए भक्ति, श्रद्धा और दिव्यता से परिपूर्ण रहा। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल में इस शुभ अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में मां राणीसा भटियाणीसा एवं अन्य लोक देवताओं के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

    सवेरे के साथ ही मंदिर परिसर में धार्मिक गतिविधियों की शुरुआत हुईं। अल्पवेला में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा वेद मंत्रों की पावन ध्वनि के बीच श्री राणीसा भटियाणीसा, श्री बायोसा, श्री सवाई सिंह जी, श्री लाल बन्ना सा, श्री खेतलाजी और श्री काला-गौरा भैरूजी के मंदिरों में विधिवत पूजन-अर्चन संपन्न हुआ। समस्त मंदिरों को रंग-बिरंगे पुष्पों, झालरों और आकर्षक विद्युत सजावट से सजाया गया, जिससे संपूर्ण परिसर आध्यात्मिक सौंदर्य से भर उठा। इस विशाल आयोजन के सफल संचालन हेतु श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान की ओर से व्यवस्थाओं में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु विशेष भीड़ नियंत्रण व्यवस्थाएं लागू की गईं। बुजुर्गों एवं दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर और गोल्फ कार्ट की विशेष व्यवस्था की गई, वहीं महिलाओं के लिए अलग प्रवेश द्वार एवं पीने के ठंडे पानी की कई व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गईं। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए तथा पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम के माध्यम से समय-समय पर दिशा-निर्देश दिए गए।

    धार्मिक अनुष्ठानों की शृंखला में कन्या पूजन एवं अन्नपूर्णा प्रसादम प्रमुख आकर्षण रहे। जसोल नगर पालिका क्षेत्र की विभिन्न समाजों की कन्याओं को विधिवत आमंत्रित कर उनका पूजन किया गया। उन्हें फल, दक्षिणा और प्रसाद अर्पित किया गया। इस अवसर पर सभी को सामूहिक रूप से अन्नप्रसादी भी करवाई गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने अत्यंत भक्ति भाव से भाग लिया। इसके पूर्व त्रयोदशी की पूर्व संध्या पर भव्य रात्रि जागरण का आयोजन भी हुआ, जिसमें स्थानीय भजन मंडलियों ने राणी भटियाणीसा के गौरवगान में भजनों की सुरमयी प्रस्तुतियां दीं। संपूर्ण रात मंदिर परिसर में भक्ति रस की गंगा प्रवाहित होती रही और श्रद्धालु देर रात तक भजनों की लहरियों में झूमते रहे।

    श्रावण त्रयोदशी के इस पावन अवसर पर जसोलधाम में उमड़ी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आस्था की डोर आज भी उतनी ही मजबूत है, जितनी कभी थी। भक्तों ने न केवल मां राणीसा भटियाणीसा बल्कि अन्य लोक देवताओं के भी दर्शन कर अपने जीवन को पुण्य से अभिसिंचित किया। संपूर्ण आयोजन अत्यंत श्रद्धा, भक्ति एवं पूर्ण अनुशासन के साथ सम्पन्न हुआ, जिसमें आयोजकों की सूझबूझ, स्थानीय प्रशासन का सहयोग और श्रद्धालुओं की अनुशासित भागीदारी सराहनीय रही।

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