‘मध्य प्रदेश में अब लव जिहाद जैसे मामले नहीं होंगे’, अमर उजाला संवाद में बोले विश्वास सारंग

भोपाल।  भोपाल   खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने राज्य में युवाओं के मुद्दों, लव जिहाद, हिंदुत्व आदि मुद्दों पर खुलकर बात की। विश्वास सारंग ने मध्य प्रदेश में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने की चुनौतियों पर सरकार की उपलब्धियों पर भी अपने विचार साझा किए, साथ ही हिंदुत्व के मुद्दे पर अपने चर्चित बयानों का भी जिक्र किया।

प्रश्न- राजनीति आपको विरासत में मिली है। अभी आप सहकारिता और युवा एवं खेल मंत्रालय देख रहे हैं। प्रदेश का युवा खेल के माध्यम से आगे बढ़ना चाहते हैं और देश का नाम रोशन करना चाहता है। आप इस दिशा में क्या काम कर रहे हैं

विश्वास सारंग- अगर इस देश और समाज को आगे बढ़ाना है तो युवा को व्यवस्थित करना बहुत जरूरी है। अगर हम युवा को व्यवस्थित और संस्कारित करने की बात करते हैं तो उसमें खेल एक बड़ा तत्व है। व्यक्ति से नागरिक बनने की प्रक्रिया है, उसके आयामों में खेल भी एक आयाम है। अब देश में खेलों को लेकर परिवर्तन आया है और इसे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने परिवर्तित किया है। पहली बार कोई प्रधानमंत्री हुआ, जो रात दो बजे भी खिलाड़ी के स्वर्ण पदक जीतने पर उसकी हौसला अफजाई करते हैं, क्रिकेट टीम के वर्ल्ड कप फाइनल हारने पर भी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं। खेल के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने की बात हो उसमें प्रधानमंत्री और राज्य के सीएम मोहन यादव भी लगातार काम कर रहे हैं। सरकारी नौकरी में खेलों को प्रतिनिधित्व दे रहे हैं। सिर्फ सरकारी नौकरी ही नहीं एलाइड सेक्टर पर भी ध्यान दिया जा रहा है। राज्य में स्पोर्ट्स एकेडमी बना रहे हैं और एलाइड सर्विस में भी ध्यान दे रहे हैं। जिसमें खेल से जुड़े रोजगार के अवसरों पर ध्यान दिया जा रहा है। रोजगार युवाओं को मिले, ये हमारी प्राथमिकता है। हमने पिछला बैकलॉग क्लीयर कर दिया है और पुलिस में भी हम खिलाड़ियों को नौकरी दे रहे
 
प्रश्न- राज्य में मेडिकल पढ़ाई हिंदी में करने की शुरुआत मध्य प्रदेश से ही हुई। हालांकि शुरुआत में मेडिकल की पढ़ाई के हिंदी अनुवाद पर काफी आपत्ति थी, लेकिन अब उन विसंगतियों को दूर किया जा रहा है। ये उपलब्धि इस मंच से रेखांकित होनी चाहिए।

विश्वास सारंग- मुझे खुशी है कि मुझे ये श्रेय मिल सका कि मेरे चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहते हुए मेडिकल में हिंदी की पढ़ाई शुरू हो सकी। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात की और तकनीकी और मेडिकल शिक्षा को भी हिंदी में कराने की बात की। हमने उसे चुनौती के तौर पर लिया। जब हमने पहली बार अपने अधिकारियों के साथ बैठकर इस पर चर्चा की तो अधिकारियों की शारीरिक भाषा देखकर लगा पूरी नकारात्मकता लगी, लेकिन हमने शुरुआत की और मेडिकल टीचर्स की फैकल्टी को समझाया। हमने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में मंदार नाम से वार्ड रूम बनाया और लगभग आठ महीने की मेहनत के बाद मेडिकल की किताबों का रूपांतरण किया। हम हिंदी और इंग्लिश का झगड़ा नहीं कराना चाहते थे इसलिए मेडिकल शब्दों को इंग्लिश नामों से ही लिखा। इससे मेडिकल छात्रों को परेशानी नहीं हुई। 

प्रश्न- आप हिंदुत्व को लेकर जो आपके बयान आते हैं, जो काफी वायरल होते हैं। उन्हें लेकर आपका क्या कहना है, हम जानना चाहेंगे।

विश्वास सारंग- हम ताकत के साथ कहते हैं कि हम हिंदू हैं। ये मैं सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए नहीं कहता। कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति इतनी आगे बढ़ा दी कि 'मैं हिंदू हूं' तो ये स्वीकार नहीं किया जाता। मैं लैंड जिहाद या लव जिहाद की बात करता हूं तो हमें सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है। हिंदू होना मेरा मूल है और हमें इस पर गर्व है। हमारा तन हिंदू, मन हिंदू, जीवन हिंदू यही तो हमारा मूल है। अगर मैं ये बोलता हूं कि लव जिहादी की छाती पर गोली क्यों नहीं मारी तो मैं उस पर अभी भी कायम हूं। अगर किसी बहन बेटी से सिर्फ धर्म बदलने के लिए शादी करने कि क्या इसकी इजाजत दी जा सकती है! मजार बनाकर जमीन कब्जाना न मध्य प्रदेश में और न ही देश में अब चलने वाला है।

प्रश्न- मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लव जिहाद का रैकेट पकड़ में आया, जिसमें जिम ट्रेनर आदि धर्म परिवर्तन करा रहे थे। एक पार्षद भी इसमें शामिल पाए गए, जिसके लिए फंडिंग हो रही थी, तो सरकार ऐसे मामले में क्या कर रही है और कितनी गंभीर है?

विश्वास सारंग- धर्म स्वतंत्र अधिनियम हमने इसलिए ही लागू किया है। ऐसे मामलों में लोगों पर केस दर्ज हुए हैं। मेरा ये कहना है कि अगर समाज में कोई कुरीति है तो उससे सख्ती से निपटना होगा और निपटेंगे। मध्य प्रदेश में अब लव जिहाद जैसे मामले नहीं होंगे। 

प्रश्न- सहकारिता में मध्य प्रदेश में इतना काम हुआ, लेकिन इसमें घोटाले भी सामने आए। क्या सहकारिता का स्वर्णिम युग लौटकर आएगा?

विश्वास सारंग- 'बिना सहकार नहीं उद्धार' का नारा है, लेकिन हमने इसमें एक लाइन और जोड़ी है कि 'बिना संस्कार नहीं सहकार'। सहकारिता में कई घोटाले हुए हैं और प्रश्न चिन्ह लगे हैं। कुछ राज्यों में इस दिशा में अच्छे काम हुए हैं जैसे महाराष्ट्र, गुजरात,केरल आदि में, हमारे यहां कांग्रेस में भ्रष्टाचार हुआ, जैसे हाउसिंग सोसाइटी का भ्रष्टाचार कांग्रेस के समय ही हुआ। हम उसे समेटने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा है कि जब देश आजादी का 100वां साल मनाए तो विकसित राष्ट्र के रूप में मनाए। इसलिए सहकारिता के क्षेत्र में बहुत काम हो रहा है। हर सेक्टर में सहकारिता के माध्यम से रोजगार के नए अवसर बनाने की कोशिश हो रही है। हमने भी सहकारिता मंत्री बनने के बाद नया कॉन्सेप्ट शुरू किया है। सीपीपीपी यानी कॉरपोरेट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप। हम कॉपरेट को कॉरपोरेट के साथ मिलाकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे कोई एग्रो बिजनेस की कोई कंपनी है तो उसे कच्चा माल पाने में दिक्कत होती है और उसी तरह से किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल पाता सही समय पर पेमेंट नहीं मिल पाता। हमने उसे व्यवस्थित करने की कोशिश की है। हम किसान और कॉरपोरेट के बीच पैक्स की व्यवस्था कर रहे हैं। इससे कॉपरेटिव, कॉरपोरेट और किसान, तीनों के सहयोग पर काम कर रहे हैं। इससे किसानों को फसल का सही दाम मिलेगा, कॉपरेटिव सोसाइटी को काम मिलेगा और कॉरपोरेट को समय से कच्चा माल मिलेगा। अगर कोई कॉरपोरेट अच्छा उत्पाद बनाता है तो हमारी कॉपरेटिव सोसाइटी उसे बेच सकेंगी। हम पैक्स, क्रेडिट को मजबूत कर रहे हैं। हम रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग पर भी काम कर रहे हैं।

प्रश्न- आपने संघ, संगठन से सत्ता तक का रास्ता तय किया है। आगे कहां जाने की इच्छा है, कहां पर निगाह है, जहां विश्वास सारंग जाना चाहते हैं।

विश्वास सारंग- मेरे पिताजी ने मुझे एक शेर याद कराया है और मैं रोज रात में ये शेर याद करके सोता हूं। मेरी भी अपेक्षा है कि मैं वहां जाऊं, जहां लोगों की ज्यादा से ज्यादा सेवा कर सकूं और महत्वकांक्षा होना गलत नहीं है। शेर ऐसा है कि 'कुछ इस तरह से काफिले के साथ चल नजीर, जब तू रहे न रहे, तेरी दास्तां चले….'। जिंदगी में चलते रहें और भगवान की कृपा बनी रहे और लोगों की सेवा करते रहें।
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here