चमत्कारी है ये मंदिर…जहां शांत हुआ भगवान शिव का रौद्र रूप, ब्रह्मांड की आई जान में जान

उत्तराखंड की देवभूमि ऋषिकेश आध्यात्मिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता का अनूठा संगम है. यह तीर्थनगरी योग और ध्यान के लिए जितनी प्रसिद्ध है, उतनी ही यहां स्थित प्राचीन मंदिरों के लिए भी जानी जाती है. इन्हीं मंदिरों में से एक है– वीरभद्र मंदिर, जो ऋषिकेश के आमबाग आईडीपीएल कॉलोनी क्षेत्र में है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व भी अत्यंत गहरा है. Local 18 के साथ बातचीत में इस मंदिर के पुजारी प्रदोष थपियाल बताते हैं कि वीरभद्र मंदिर को सैकड़ों साल पुराना माना जाता है. इसकी मान्यता सीधे भगवान शिव से जुड़ी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया और माता सती ने उसी अपमान के कारण यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्याग दिए, तब भगवान शिव ने क्रोध में आकर अपने जटाओं को पृथ्वी पर पटका. उसी से उत्पन्न हुए उनके रौद्र अवतार वीरभद्र. वीरभद्र ने दक्ष के यज्ञ को विध्वस्त कर दिया और पूरे ब्रह्मांड में भय व्याप्त हो गया.

रौद्र और शांत दोनों रूपों की पूजा

कहा जाता है कि यहीं ऋषिकेश के वीरभद्र क्षेत्र में भगवान शिव ने वीरभद्र को शांत किया था, तभी से यह स्थान वीरभद्र शिवलिंग के रूप में प्रतिष्ठित हुआ और एक मंदिर का स्वरूप ले लिया. वीरभद्र मंदिर का यह शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है. यहां भगवान शिव के रौद्र और शांत दोनों स्वरूपों की पूजा होती है. मंदिर की वास्तुकला प्राचीन शैली की है. परिसर में प्रवेश करते ही श्रद्धालु आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं. यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र तो है ही, देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी खास स्थान है.

सावन में जमघट

स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां दर्शन मात्र से जीवन के संकट कट जाते हैं और शिव कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वीरभद्र मंदिर में सावन के महीने और श्रावण सोमवार को भी बड़ी संख्या में भक्त जुटते हैं और जलाभिषेक कर भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. हर वर्ष महाशिवरात्रि पर यहां एक विशाल और भव्य मेला आयोजित किया जाता है. इस मेले में दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं और रात्रि जागरण, भजन-कीर्तन और विशेष पूजा अनुष्ठानों का आयोजन होता है. यह मेला न केवल धार्मिक गतिविधियों का मंच होता है, बल्कि यहां सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और स्थानीय हस्तशिल्प की झलक भी देखने को मिलती है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here