More

    केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने 101वीं नदी के उद्गम स्थल का दौरा किया

     भोपाल। मध्य प्रदेश को ‘नदियों का मायका’ कहा जाता है. नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी समेत करीब 207 छोटी-बड़ी नदियां का उद्गम मध्य प्रदेश से ही हुआ है। अब जलवायु परिवर्तन और जल संकट की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नदियों के संरक्षण के लिए MP के पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल 101वीं नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचे।

    नदियों के संरक्षण के लिए अनूठा अभियान

    MP के श्रम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलवायु परिवर्तन और जल संकट की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नदियों के संरक्षण के लिए एक अनूठा अभियान प्रारंभ किया हुआ है।इसका मुख्य उद्देश्य जनजागरण के माध्यम से लोगों को प्रकृति और नदियों से जोड़ना है।

    101वीं नदी के उद्गम स्थल पहुंचे मंत्री प्रहलाद पटेल

    राज्य शासन के ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ से प्रेरित होकर मंत्री पटेल ने नदियों के उद्गम स्थल की यात्रा शुरू की। अब तक वे 101 नदियों के उद्गम स्थल तक पहुंच चुके हैं, नर्मदा परिक्रमावासी होने के नाते उन्होंने यह संकल्प लिया है कि वे अपनी यह यात्रा मां नर्मदा जी के चरणों में अर्पित करेंगे। उनका लक्ष्य 108 नदियों के उद्गम स्थल तक पहुंचने का है. नर्मदा जी के उद्गम स्थल पर नमन करके उन्होंने 101वां पड़ाव पूर्ण किया।

    नदी है, तो सदी है

    मंत्री पटेल का स्पष्ट संदेश है- ‘नदी है, तो सदी है.’ उनका मानना है कि मध्य प्रदेश की पहचान उसकी नदियों से है और जब तक सहायक नदियां सुरक्षित नहीं होंगी, तब तक नर्मदा जैसी वृहद नदियां भी जीवित नहीं रह पाएंगी। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ स्वच्छ, हरित और निर्मल वातावरण में सांस ले सकें।

    गांव-जंगल-पहाड़ होकर पैदल उद्गम स्थल तक पहुंच रहे

    इस अभियान की विशेषता यह है कि मंत्री स्वयं पैदल गांव, जंगल और पहाड़ियों से गुजरकर उद्गम स्थल तक पहुंच रहे हैं। वे स्थानीय समुदायों को जलधाराओं से जोड़ते हैं और उन्हें नदी संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही अफसरों को आवश्यक सुधार के दिशा-निर्देश देकर नदी संरक्षण को सुनिश्चित करते हैं। यह प्रयास धीरे-धीरे जनता में नदी संरक्षण को एक आंदोलन का रूप दे रहा है। सरकारी प्रयासों से आगे बढ़कर यह पहल अब जनभागीदारी आधारित मॉडल बन रही है, जो न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए जल संरक्षण का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here