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    हथिनीकुंड बैराज पर यमुना का जलस्तर घटा, दिल्ली-NCR को मिली बड़ी राहत

    यमुनानगर : हरियाणा, दिल्ली, यूपी के सटे इलाकों के लिए बड़ी राहत की खभर है। हथिनी कुंड बैराज पर यमुना का जलस्तर घटकर 53,011 क्यूसेक पर पहुंच गया है। बाढ़ के कारण बंद की गई यूपी की पूर्वी नहर और हरियाणा की पश्चिमी नहर की जल आपूर्ति फिर शुरू कर दी गई। रविवार को हथिनी कुंड बैराज पर जलस्तर 1 लाख 78 हजार 996 क्यूसेक पहुंच गया था और इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था। कई लोगों को घर खाली करने को भी कह दिया गया था।

    पिछले कुछ दिनों से उत्तरी इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। इस वजह से यमुनानगर के हथिनीकुंड बैराज में यमुना का जल स्तर बढ़ गया था। बांध पर पानी का बहाव 1.78 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था। जल स्तर बढ़ने के कारण हरियाणा, उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली के कई जिलों में बाढ़ की चेतावनी जारी की गई थी। हथिनीकुंड बैराज के सभी 18 गेट खोल दिए गए थे। सिंचाई और जल संसाधन विभाग ने इसे मध्यम बाढ़ की स्थिति घोषित कर दिया था।

    इस मॉनसून का सबसे ज्यादा पानी

    विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस मॉनसून सीजन में यह सबसे ज्यादा पानी का बहाव था। जल ग्रहण इलाकों में भारी बारिश के बाद पानी का डिस्चार्ज बढ़ गया था। अधिकारी ने बताया कि 70,000 से 1.5 लाख क्यूसेक के पानी के बहाव को निम्न बाढ़ श्रेणी का माना जाता है। 1.5 लाख से 2.5 लाख क्यूसेक के बहाव को मध्यम बाढ़ माना जाता है। 2.5 लाख क्यूसेक से अधिक के बहाव को उच्च बाढ़ माना जाता है।

    ऐसे बढ़ता गया पानी

    अधिकारी ने बताया कि रविवार की सुबह 7 बजे के आसपास जल स्तर बढ़ना शुरू हुआ। दोपहर 1 बजे तक यह पानी एक लाख क्यूसेक तक पहुंच गया। निम्न बाढ़ का ऐलान किया गया। दोपहर 3 बजे तक जल स्तर 1.78 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया। इस डिस्चार्ज के कारण यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत के निचले इलाकों में बाढ़ की आशंका थी।

    सोम नदी भी उफान पर

    अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि पानी को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने में लगभग 48 घंटे लगेंगे। केंद्रीय जल आयोग ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया था। यमुनानगर में सोम नदी भी उफान पर है। सोम नदी का पानी धनौरा गांव के पुल के ऊपर से बहने लगा है। यहां लोगों में दहशत फैल गई। पानी का बहाव 24,000 क्यूसेक से अधिक हो गया, जो 10,000 क्यूसेक के खतरे के निशान से ऊपर है। हालांकि, कुछ घंटों के बाद सोम और पथराला नदियों में जल स्तर कम होने लगा। विभिन्न नदियों और नालों में जल स्तर बढ़ने से आसपास के गांवों में जलभराव हो गया है।
     

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