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    सिर्फ रजिस्ट्री से ही नहीं बन जाते किसी संपत्ति के मालिक

    नई दिल्ली। प्रॉपर्टी से जुड़े एक विवाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए एक अहम फैसले से घर खरीदारों की चिंता बढ़ सकती है। क्योंकि, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "सिर्फ प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो जाना, यह साबित नहीं करता कि आप उस जमीन या फ्लैट के मालिक हैं." सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला महनूर फातिमा इमरान बनाम स्टेट ऑफ तेलंगाना केस में सुनाया है.

    अगर आप भी सिर्फ़ रजिस्टर्ड सेल डीड के आधार पर कोई संपत्ति खरीद रहे हैं या खरीदी है, तो आपको सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ध्यान में रखते हुए यह जानना चाहिए कि किसी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक जताने के लिए कौन-कौन से कागजात जरूरी होते हैं, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन इनमें से सिर्फ एक होता है।

    रजिस्ट्रेशन से क्यों साबित नहीं होता मालिकाना हक
    तेलंगाना में जमीन विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ होता है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री सिर्फ इस बात का रिकॉर्ड है कि किसी संपत्ति के सौदे को आधिकारिक रूप से रजिस्टर किया गया है.

    लेकिन अगर यह ट्रांजैक्शन ही सही तरीके से नहीं हुआ था, जैसे पहले मालिक के पास ही संपत्ति का स्पष्ट स्वामित्व नहीं था, तो आपके पास उस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होने के बावजूद आप लीगल मालिक नहीं माने जाएंगे.

    ऐसे में संपत्ति पर मालिकाना हक साबित करने के लिए आपको दूसरी जरूरी डाक्यूमेंट्स और सबूत भी देने होंगे. इनमें सेल व टाइटल डीड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, म्युटेशन सर्टिफिकेट, पजेशन लेटर, एलॉटमेंट लेटर और सक्सेशन सर्टिफिकेट आदि अहम डॉक्युमेंट्स हैं।

    प्रॉपर्टी टाइटल को सही तरीके से कैसे सत्यापित करें?
    रियल एस्टेट मार्केट एक्सपर्ट्स की मानें तो किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले पूरी तरह से जांच-पड़ताल जरूर करना चाहिए:

    • कम से कम 30 वर्षों के लिए प्रॉपर्टी टाइटल की जांच करें।
    • संपत्ति के म्यूटेशन रिकॉर्ड की जांच करें।
    • यह सुनिश्चित करें कि संपत्ति पर कोई लंबित मुकदमा या टैक्स बकाया न हो।
    • प्रॉपर्टी पर क्लेम को लेकर सार्वजनिक नोटिस जारी करें।

    सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश
    सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले यह साफ किया है कि प्रॉपर्टी टाइटल, वैलिड ऑनरशिप से मिलता है, न कि केवल कागजी कार्रवाई से। अगर रजिस्ट्रेशन डीड धोखाधड़ी या गलत टाइटल पर आधारित है, तो खरीदारों को संपत्ति से बेदखल होना पड़ सकता है और अदालती मामलों में उलझना पड़ सकता है।

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