‘वंदे गंगा विकसित कृषि संकल्प व जल संरक्षण अभियान’ के तहत किसानों को मिली आधुनिक कृषि की जानकारी
अलवर।
पंचायत समिति रामगढ़ के गांव अलावड़ा स्थित वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आज ‘वंदे गंगा विकसित कृषि संकल्प एवं जल संरक्षण अभियान’ के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ।
इस अवसर पर कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र नौगांवा के विशेषज्ञों ने स्थानीय किसानों को कम पानी में अधिक उपज, जैविक खेती, जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन जैसे विषयों पर प्रेरक और उपयोगी जानकारी दी।
मिट्टी की जांच और संतुलित उर्वरक पर बल
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि विभाग भरतपुर के संयुक्त निदेशक श्री योगेश शर्मा ने कहा कि अंधाधुंध रासायनिक खाद के उपयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट होती जा रही है। उन्होंने किसानों को फसल चक्र अपनाने और सिर्फ 5 रुपये में मिट्टी की जांच करवाने का सुझाव दिया, ताकि आवश्यकता के अनुरूप ही उर्वरक का प्रयोग हो सके।
उन्होंने बागवानी एवं बेर की खेती को लाभकारी बताते हुए कहा कि एक बार लगाया गया बेर का पौधा दो वर्षों की देखभाल के बाद लगभग 25 से 30 वर्षों तक फल देता है, जो कम जल में भी पनप सकता है।
जल संरक्षण के आधुनिक उपायों की जानकारी
कृषि विज्ञान केंद्र नौगांवा के वैज्ञानिक श्री सुभाष यादव ने स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति के माध्यम से जल की बचत और अधिक उत्पादन की विधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह तकनीकें न केवल पानी की बचत करती हैं बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती हैं।
पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर
पशु चिकित्सक श्री सुभाष वर्मा ने पशुओं की देखभाल, रोगों से सुरक्षा और टीकाकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने किसानों से पशुधन को आर्थिक स्तंभ मानकर समय-समय पर जांच और उपचार कराने की अपील की।
कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण पर भी चर्चा हुई। प्रदूषण के बढ़ते स्तर, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक असंतुलन को रोकने के लिए वक्ताओं ने किसानों से अपने खेतों में कम से कम 2 से 4 पेड़ लगाने का संकल्प लेने का अनुरोध किया।