अलवर. अब अलवर के किसान प्याज का खुद ही बीज तैयार कर न केवल अपनी जरुरतों को पूरा कर रहे हैं, बल्कि मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, राजस्थान के नागौर, सीकर, मथानिया, जोधपुर समेत अन्य स्थानों पर बहुतायत में भेजा रहा है। पहले अलवर का किसान प्याज के बीज के लिए महाराष्ट व गुजरात पर निर्भर रहता था। किसानों की इस पहल का उन्हें दोहरा लाभ भी हुआ, एक तो खुद के बीज के लिए उन्हें दूसरे राज्यों में मोटी रकम नहीं देनी पड़ रही, वहीं दूसरे स्थानों पर महंगे दामों में बीज को भेजने से मोटी कमाई भी हो रही है।
अलवर प्याज मंडी के संरक्षक अभय सैनी उर्फ पप्पू भाई प्रधान ने बताया कि पिछले कुछ सालों से लाल प्याज अलवर जिले की अर्थ व्यवस्था की धुरी बन चुका है। अलवर जिले में करीब 35 सालों से किसान लाल प्याज की बुवाई कर रहा है। अलवर में प्याज मंडी शुरू होने के बाद अलवर जिले में किसानों ने लाल प्याज की फसल को बड़े पैमाने पर अपनाया है। अलवर के लाल प्याज की विशेषता है कि सर्दियों के सीजन में केवल अलवर की प्याज चलती है, देश में किसी अन्य जगह की प्याज नहीं चलती।
पहले महाराष्ट व गुजरात से लाते थे प्याज का बीज
प्याज मंडी संरक्षक सैनी ने बताया कि पहले अलवर जिले में किसान लाल प्याज की फसल करने के लिए महाराष्ट व गुजरात से प्याज का बीज लेकर आते थे। इसमें यहां के किसानों को बीज की मोटी रकम चुकानी पड़ती थी, वहीं प्याज के बीज को अलवर तक लाने का परिवहन व्यय अलग से करना पड़ता था। कई बार दूसरे राज्यों से प्याज की पौध लाने पर खराब भी हो जाती थी, जिससे उन्हें मोटा नुकसान भी उठाना पड़ता था। बाहरी राज्यों से प्याज की पौध लाने के बाद किसान उन्हें अपने खेतों में लगाते थे।
अब किसान अलवर में ही तैयार कर रहे प्याज का बीज
पहले महाराष्ट व गुजरात से लाल प्याज का बीज लाने पर किसानों को मोटी रकम चुकानी होती थी, इस कारण किसान धीरे— धीरे अलवर में ही प्याज के कण से पौध तैयार करने लगे। अब हालात यह है कि किसान अलवर जिले में ही न केवल अपनी जरुरत के लिए प्याज की पौध तैयार नहीं कर रहे, बल्कि खुद की जरुरत पूरी करने के साथ ही उन्हें कई बाहरी राज्यों व प्रदेश के अन्य जिलों में भेज रहे हैं। अब किसानों को लाल प्याज की फसल के बीज के लिए महाराष्ट व गुजरात जैसे राज्यों पर निर्भर होने की जरूरत नहीं रह गई।
इस तरह तैयार होता है प्याज का बीज
प्याज मंडी के संरक्षक सैनी ने बताया कि लाल प्याज का कण काले रंग के छोटे बीजनुमा होते हैं। किसानों द्वारा इस कण को खेतों में उगाया जाता है। कण के उगने पर पौध तैयार होती है। कुछ दिनों बाद इन पौध को जमीन से उखाड़ कर सुखाया जाता है और यह सूखी पौध ही लाल प्याज का बीज कहलाता है। इन पौधों को किसान खेतों में लगाकर उगाते हैं और पौध लगने के बाद फसल तैयार होती है।