नई दिल्ली। अयोध्या में हुए नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म मामले में सियासत गरमा गई है। मामले को लेकर समाजवादी पार्टी और बसपा आमने— सामने हो गए हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती इस मामले में एक— दूसरे को चुनौती देते नजर आए।
इस मामले में सपा प्रमुख अखिलेश का कहना है कि अयोध्या के भदरसा मामले में डीएनए टेस्ट कराए बिना भाजपा का आरोप दुराग्रहपूर्ण है। उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य सरकार की ओर से इस मामले में की गई सख्त कार्रवाई को सही ठहराते हुए समाजवादी पार्टी पर सवाल खड़ा किया कि वह बताए कि उनकी सरकार में ऐसे आरोपियों के खिलाफ कितने डीएनए टेस्ट हुए।
सपा प्रमुख ने की थी डीएनए टेस्ट की मांग
अयोध्या में हुए नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म मामले में सपा की ओर से जारी बयान में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अयोध्या के भदरसा मामले में बिना डीएनए टेस्ट के भाजपा का आरोप दुराग्रहपूर्ण माना जाएगा। इस मामले के आरोपियों का डीएनए टेस्ट कराया जाए, जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके। इस मामले में केवल आरोप लगाकर सियासत नहीं की जाए।
अखिलेश ने कहा दोषी को मिले सजा
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक पोस्ट में कहा कि इस मामले में जो भी दोषी मिले उन्हें सजा दी जानी चाहिए। यदि डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट में आरोप गलत साबित हों तो सरकार के संलिप्त अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए। उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने पीड़ित परिवार को तुरंत 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की जरूरत बताई। सपा प्रमुख ने कहा कि घटना कहीं हो, लेकिन जांच के बिना समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाना राजनीतिक से प्रेरित है।
सपा बताए उनके राज में कितने डीएनए टेस्ट कराए
सामूहिक दुष्कर्म मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान के कुछ देर बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा पर निशाना साधा। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा कि उप्र सरकार की ओर से अयोध्या सामूहिक दुष्कर्म में आरोपी के खिलाफ की जा रही सख्त कार्रवाई उचित है। इस मामले में सपा का आरोपी का डीएनए टेस्ट कराने की बात कहने को क्या समझा जाए। सपा को बताना चाहिए कि जब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी तो ऐसे कितने आरोपियों के खिलाफ डीएनए टेस्ट कराए गए। बसपा प्रमुख मायावती ने एक और पोस्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण व कानून-व्यवस्था, विशेषकर महिला सुरक्षा व उत्पीड़न की घटनाएं चिन्तित करने वाली हैं। सरकार को इनके निवारण के लिए जाति एवं राजनीति से ऊपर उठकर सख़्त कदम उठाने की जरूरत है।