More

    डॉ. लवेश गुप्ता: मेडिकल सेवा को मिशन बनाने वाले अलवर के युवा डॉक्टर

    केवल इलाज नहीं, युवाओं के लिए भविष्य की चिंता भी करनी होगी

    मिशनसच न्यूज , अलवर ।
    डॉक्टरी पेशा केवल एक करियर नहीं, एक सेवा है – यह बात डॉ. लवेश गुप्ता के व्यक्तित्व में स्पष्ट झलकती है। एक युवा डॉक्टर, जिनकी आँखों में सिर्फ मरीजों के प्रति चिंता ही नहीं, बल्कि अपने जैसे युवा साथियों को आगे बढ़ाने का भी संकल्प है। वे मानते हैं कि अगर अलवर जैसे जिले में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मेडिकल शिक्षा तथा इलाज मिल जाए, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।

    उनका सपना है – “एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जो न केवल अलवर का नाम रोशन करे बल्कि शिक्षा को आमजन के लिए सुलभ बनाए।” उनके शब्दों में सादगी है, पर उनके इरादों में गहराई और दूरदृष्टि

    शिक्षा की नींव और सफलता की उड़ान

    लवेश गुप्ता की शुरुआती शिक्षा अलवर के बाल भारती स्कूल से हुई जहाँ उन्होंने नवीं तक हिंदी माध्यम से पढ़ाई की। लेकिन डॉक्टर बनने के दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने दसवीं कक्षा में अंग्रेजी माध्यम का रुख किया और तिजारा के सागर स्कूल में प्रवेश लिया। ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई अलवर पब्लिक स्कूल से की।
    कोई कोचिंग नहीं ली, लेकिन बारहवीं पढ़ते हुए ही मेडिकल में चयन हो गया – यह उनकी लगन और आत्मविश्वास का परिचायक है। ऑल इंडिया रैंक में भी शानदार प्रदर्शन किया और उन्हें सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर के साथ-साथ बॉम्बे और पुणे से भी ऑफर मिला। उन्होंने बोम्बे को चुना फिर पुणे चले गए और यहीं से MBBS की पढ़ाई पूरी की।
    पढ़ाई के प्रति समर्पण यहीं खत्म नहीं हुआ। पोस्ट ग्रेजुएशन में ऑल इंडिया 83वीं रैंक प्राप्त कर AIIMS में चयन हुआ, पर उन्होंने कलकत्ता और बाद में लखनऊ को चुना। वर्ष 2016 में एमडी पूरी करने के बाद वे अपने पिता डॉ. हरीश गुप्ता के साथ हरीश हॉस्पिटल में सेवा देने लगे और आज तक उसी समर्पण से कार्य कर रहे हैं।

    स्वप्न जो समाज को आकार देता है

    डॉ. लवेश मानते हैं कि “पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं।” वे शिक्षा और अपडेटेड मेडिकल नॉलेज को समाज की सबसे बड़ी जरूरत मानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने श्रीहरि हरिकीर्तन कॉन्फ्रेंस का आयोजन कराया, जिसमें देशभर के चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। उनका उद्देश्य ऐसे आयोजन को नियमित बनाना है ताकि चिकित्सा समुदाय में विचारों का आदान-प्रदान बना रहे।
    हरीश हॉस्पिटल हाल ही में डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) के लिए अधिकृत हुआ है, जो अलवर के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। अब यहाँ पीजी की डिग्री दी जा सकेगी, और चयन पूरी तरह सरकारी काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से होगा। इस दिशा में डॉ. लवेश ने मेडिकल शिक्षा को अलवर की ज़मीन पर लाने का बड़ा कदम उठाया है।
    वे बताते हैं कि “अलवर में कैंसर के मरीजों की संख्या में बढोतरी हुई है। मेरी कोशिश है कि इन मरीजों को इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े।” उन्होंने इस दिशा में पहलकदमी शुरू कर दी है।

    एक ऐसा केस जो दिल को छू गया

    डॉ. लवेश गुप्ता की पेशेवर यात्रा में कई कठिन केस आए, लेकिन एक मामला उन्हें आज भी भावुक कर देता है। “नौ माह की गर्भवती महिला को सांप ने काट लिया था। खून पतला हो चुका था, जान बचाना चुनौती थी – माँ की भी और अजन्मे बच्चे की भी।”
    उस महिला के परिजन आर्थिक रूप से असहाय थे कि कहीं और ले जाना भी संभव नहीं था। लेकिन लवेश और उनकी टीम ने हार नहीं मानी और नार्मल डिलीवरी करवाई। माँ और बच्चा – दोनों सुरक्षित थे। वे कहते हैं, “यह केस जब भी याद करता हूं, तो मन को सुकून और आत्मगौरव से भर जाता है।

    एक चिकित्सक परिवार की परंपरा

    डॉ. लवेश के परिवार में चिकित्सा सेवा एक परंपरा है। उनके पिता डॉ. हरीश गुप्ता अलवर के प्रसिद्ध चिकित्सक हैं, जो हरीश हॉस्पिटल का संचालन करते हैं। माता मीता गुप्ता एक गृहिणी हैं। पत्नी आकृति एक कुशल गायनेकोलॉजिस्ट हैं। भाई दीपेश गुप्ता और उनकी पत्नी रिचा भी चिकित्सक हैं और इसी हॉस्पिटल में सेवाएं दे रहे हैं।
    परिवार की नई पीढ़ी में भी भविष्य की संभावनाएं स्पष्ट हैं – बेटी तराशा (8 वर्ष) और बेटा कृषभ (3 वर्ष) एक ऐसे वातावरण में पल रहे हैं जहाँ सेवा को सर्वोपरि माना जाता है।

    युवाओं के लिए संदेश और समाज से अपेक्षा

    डॉ. लवेश युवाओं में तेजी से घटते धैर्य स्तर को लेकर चिंतित हैं। वे कहते हैं, “युवाओं के सपने बड़े होते जा रहे हैं लेकिन काम करने का उत्साह कम होता जा रहा है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं – केवल निरंतर परिश्रम ही लक्ष्य तक ले जाता है।”
    वे आमजन से भी एक अपील करते हैं – “कृपया इलाज के लिए किसी डॉक्टर के पास केवल दवाओं के लिए नहीं, बल्कि भरोसे के साथ जाएं। हर डॉक्टर चाहता है कि उसके मरीज को कभी कोई तकलीफ न हो। विश्वास और सहयोग ही चिकित्सा को सफल बनाते हैं।

    सेवा ही संकल्प

    डॉ. लवेश गुप्ता एक ऐसे डॉक्टर हैं जो इलाज को केवल पेशा नहीं, एक धर्म मानते हैं। वे न केवल मरीजों की सेवा में तत्पर हैं, बल्कि मेडिकल शिक्षा को भी आमजन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका जीवन यह सिखाता है कि संकल्प, सेवा और सतत सीखने की भावना हो तो हर शहर अपने भीतर एक एम्स खड़ा कर सकता है।

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here