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    डोल का बाढ़ बचाओ आंदोलन: 7 वर्षीय भाव्या और 13 वर्षीय सावी की साइकिल यात्रा का पहला दिन

    साइकिल यात्रा 270 किलोमीटर की होगी 
    मिशनसच न्यूज,जयपुर ।  डोल का बाढ़ जंगल और पर्यावरण को बचाने की मुहिम में एक अनूठा उदाहरण पेश करते हुए 7 वर्षीय भाव्या और 13 वर्षीय सावी ने अपने परिवार के साथ 270 किलोमीटर लंबी साइकिल यात्रा के पहले दिन की शुरुआत की। यह यात्रा पत्रिका गेट से हरी झंडी दिखाकर रवाना हुई और पहले दिन 27 किलोमीटर की दूरी तय कर कूकस में समाप्त हुई।
    यात्रा का मार्ग और स्वागत
    सुबह पत्रिका गेट से रवाना हुई यह यात्रा कनोडिया कॉलेज – अल्बर्ट म्यूज़ियम – हवा महल – आमेर होते हुए कूकस पहुंची।
    • यात्रा की शुरुआत राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. लाड कुमारी जैन और पशु अधिकार कार्यकर्ता टिम्मी कुमार ने हरी झंडी दिखाकर की।
    • कनोडिया कॉलेज में छात्रों ने सड़क किनारे खड़े होकर यात्रा का स्वागत किया और बच्चों के जज्बे को सलाम किया।
    • हवा महल पर नेशनल मुस्लिम वीमेंस वेलफेयर सोसायटी की निशात हुसैन और अन्य महिलाओं ने भाव्या, सावी और उनके परिवार को सम्मानित किया।
    • आमेर में वरिष्ठ पर्यावरणविद् कुसुम जैन और उनकी ग्राम भारती संस्थान की टीम ने यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया और बच्चों के प्रयास की सराहना की।
    पहले दिन की यात्रा कूकस पहुंचने पर समाप्त हुई, जहाँ बोध शिक्षा समिति में रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई।
    कल का कार्यक्रम
    यात्रा का दूसरा दिन 11 अगस्त को एमिटी विश्वविद्यालय और एनआईआईएमएस में छात्रों के साथ संवाद से शुरू होगा। इसके बाद यात्रा चंदवाजी की ओर बढ़ेगी। आयोजकों के अनुसार, इस संवाद का उद्देश्य युवाओं में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु बदलाव के मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाना है।
    आंदोलन का मकसद
    डोल का बाढ़ क्षेत्र में पिछले 50 दिनों से धरना जारी है। यह धरना उस प्रस्तावित परियोजना के विरोध में है, जिसमें बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई और निर्माण कार्य की योजना है। भाव्या और सावी की यह यात्रा प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने और जंगल बचाने का संदेश देने के लिए की जा रही है।
    मुख्य मांगें
    1. पेड़ों की कटाई पर तुरंत रोक – डोल का बाढ़ क्षेत्र में चल रही पेड़ों की कटाई को तत्काल रोका जाए।
    2. बायोडायवर्सिटी पार्क का दर्जा – क्षेत्र को जैव विविधता पार्क घोषित करने के वैकल्पिक प्रस्ताव पर गंभीर विचार किया जाए।
    3. निर्माण कार्य पर रोक और स्वतंत्र निगरानी समिति – सभी पक्षों की सहमति से समाधान निकलने तक किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य रोका जाए और एक स्वतंत्र समिति इसकी निगरानी करे।
    डोल का बाढ़ का महत्व
    डोल का बाढ़ केवल एक जंगल नहीं है, बल्कि यह अनेक वन्य जीवों, पक्षियों और औषधीय पौधों का घर है। पर्यावरणविदों के अनुसार, यह क्षेत्र स्थानीय जलवायु संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है और यहाँ की जैव विविधता अद्वितीय है। यदि इस क्षेत्र में अंधाधुंध कटाई और निर्माण कार्य जारी रहा, तो यह न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा बनेगा।
    बच्चों का जज्बा बना प्रेरणा
    7 वर्षीय भाव्या और 13 वर्षीय सावी का यह संकल्प सभी के लिए प्रेरणादायक है। इतनी कम उम्र में उन्होंने अपने परिवार के साथ इतनी लंबी साइकिल यात्रा करने का निर्णय लिया, ताकि आने वाले समय में लोग यह कह सकें कि बच्चों ने भी पर्यावरण बचाने में अपनी भूमिका निभाई। इस यात्रा में बच्चों के माता-पिता और अन्य पर्यावरण कार्यकर्ता भी साथ हैं, जो रास्ते में लोगों से मुलाकात कर आंदोलन के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं।
    जन समर्थन बढ़ रहा है
    पहले ही दिन यात्रा को जयपुर के कई सामाजिक संगठनों, कॉलेजों और आम नागरिकों से भरपूर समर्थन मिला। जगह-जगह बच्चों के लिए स्वागत द्वार बनाए गए, उन्हें तिरंगे और पौधे भेंट किए गए, और लोग सोशल मीडिया पर उनके प्रयास को साझा कर रहे हैं।
    आंदोलन का संदेश
    यह यात्रा केवल 270 किलोमीटर का सफर नहीं, बल्कि एक संदेश है – “प्रकृति बचाओ, भविष्य बचाओ।” डोल का बाढ़ को बचाने की यह पुकार राजस्थान में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल बन सकती है।

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