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    फर्जी डिग्री के सहारे ली डाक विभाग में नौकरी, अब पुलिस ने नौकरी पाने वाले दो आरोपियों को किया गिरफ्तार

    शहर के अरावली विहार थाना पुलिस ने फर्जी अंक तालिकाओं के सहारे डाक विभाग की नौकरी पाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि फर्जी मार्कशीट नारनौल के एक कोचिंग सेंटर से तैयार कराई गई थी

    मिशन सच न्यूज़, अलवर। शहर के अरावली विहार थाना पुलिस ने फर्जी अंक तालिकाओं के सहारे डाक विभाग की नौकरी पाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि फर्जी मार्कशीट नारनौल के एक कोचिंग सेंटर से तैयार कराई गई थी। फिलहाल पुलिस दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है।

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    कैसे हुआ खुलासा?

    थाना प्रभारी रामेश्वर लाल ने बताया कि वर्ष 2022 में डाक विभाग द्वारा ग्रामीण डाक सेवा (GDS) पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इस भर्ती में चयन दसवीं कक्षा के अंकों की मेरिट के आधार पर होना था। इसी प्रक्रिया में शैलेंद्र कुमार निवासी मुंडावर और संदीप यादव निवासी मुंडावर ने आवेदन किया। दोनों ने फर्जी अंक तालिका प्रस्तुत कर भर्ती में जगह बनाई। जब चयनित उम्मीदवारों के दस्तावेज़ों की विभागीय जांच हुई तो अनियमितताएं सामने आईं। इसके बाद डाक विभाग ने थाना अरावली विहार में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।

    आरोपी कैसे पकड़े गए?

    थाना पुलिस ने सबसे पहले शैलेंद्र कुमार को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि फर्जी अंक तालिका उसे संदीप यादव ने उपलब्ध कराई थी। इसके बाद पुलिस ने संदीप यादव को गिरफ्तार किया। पूछताछ में संदीप ने खुलासा किया कि उसने यह फर्जी मार्कशीट नारनौल के एक कोचिंग सेंटर से तैयार कराई थी। थाना प्रभारी ने बताया कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं? कितने युवाओं ने इसी तरीके से नौकरी पाई है? क्या डाक विभाग के अन्य कर्मचारियों की भी इसमें संलिप्तता है? आदि की जांच की जाएगी।

    पुलिस की दो रिपोर्ट और विस्तृत जांच

    मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने दो अलग-अलग रिपोर्ट दर्ज की हैं। एक रिपोर्ट सीधे फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने और उपयोग करने पर है, जबकि दूसरी रिपोर्ट गिरोह व नेटवर्क की जांच के लिए बनाई गई है। अधिकारियों का मानना है कि यह कोई संगठित फर्जीवाड़ा है, जिसमें सिर्फ दो लोग नहीं बल्कि पूरा नेटवर्क सक्रिय हो सकता है।

    डाक विभाग की सख्ती

    डाक विभाग ने साफ किया है कि चयन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दस्तावेजों की जांच अब और सख्ती से की जाएगी। सभी चयनित उम्मीदवारों के कागजातों का पुनः सत्यापन कराया जाएगा। विभागीय अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि और कोई फर्जीवाड़ा सामने आया तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    युवाओं के लिए चेतावनी

    पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी डिग्री या मार्कशीट का सहारा लेना अपराध है। ऐसे मामलों में जेल की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है। एक बार अपराध साबित हो जाने पर भविष्य की नौकरी के अवसर भी खत्म हो जाते हैं। थाना प्रभारी ने युवाओं से अपील की कि वे मेहनत और योग्यता के बल पर प्रतियोगिता में हिस्सा लें, न कि किसी शॉर्टकट या फर्जी दस्तावेज़ का सहारा लें।

    नारनौल से जुड़ा नेटवर्क पुलिस के रडार पर

    पूरे मामले का सबसे अहम पहलू यह है कि फर्जी अंक तालिकाएं नारनौल (हरियाणा) के एक कोचिंग सेंटर से लाई गई थीं। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि यह कोचिंग सेंटर कब से इस तरह की गतिविधियों में शामिल है? क्या अन्य जिलों के उम्मीदवारों को भी फर्जी कागजात उपलब्ध कराए गए हैं? इस पूरे रैकेट में कितने लोग सक्रिय हैं? थाना अधिकारी ने कहा कि इस दिशा में छापेमारी और गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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