पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि यदि मानव समाज क्षमा दान को जीवन का हिस्सा बना ले तो पूरे विश्व में प्रेम, सद्भाव, शांति और करुणा का वातावरण स्थापित हो सकता है
मिशन सच न्यूज़, चंडीगढ़। पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि यदि मानव समाज क्षमा दान को जीवन का हिस्सा बना ले तो पूरे विश्व में प्रेम, सद्भाव, शांति और करुणा का वातावरण स्थापित हो सकता है। उन्होंने कहा कि क्षमा से व्यक्तिगत और सामाजिक तनाव कम होते हैं तथा मानव जीवन में सच्चा सुख और शांति आती है।
राज्यपाल रविवार को पंजाब राजभवन में आयोजित क्षमायाचना कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि क्षमा एक सकारात्मक गुण है, जो मन को शुद्ध करता है और द्वेष व नफरत को मिटाकर मित्रता को बढ़ाता है। यही गुण एक स्वस्थ और शांत समाज का निर्माण करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश और नवकार मंत्र से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत नवकार मंत्र से हुई। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश सुनाया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि जैन धर्म और जैनत्व ही दुनिया को करुणा और प्रेम का मार्ग दिखा सकता है। इसके बाद एसएस जैन सभा की बहनों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। मंच पर जैन संत मनीषी संत मुनि श्रीविनय कुमार आलोक, अभय मुनि, सुखदर्शन मुनि, महादेव मुनि, आशीष मुनि, उत्तम मुनि, विरह मुनि, सुधाकर मुनि और महिला संत संतोष व सुदेश विराजमान थे। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल से आए हजारों श्रावक-श्राविकाएं कार्यक्रम में शामिल हुए।
क्षमा का महत्व और मनुष्य का व्यक्तित्व
राज्यपाल कटारिया ने कहा कि यदि कोई इंसान गलती कर तुरंत माफी मांग ले तो सामने वाले का गुस्सा काफी हद तक दूर हो जाता है। इसी तरह किसी को क्षमा कर देना भी महान व्यक्तित्व की पहचान है। उन्होंने कहा कि माफी न मांगना और माफी न देना, दोनों ही व्यक्तित्व को अहंकार से भर देते हैं। ऐसे लोग कभी अपराध से मुक्त नहीं हो पाते और अपने भीतर जहर पाले रखते हैं। क्षमा करने वाले का यश चारों दिशाओं में फैलता है।
“क्षमा वीरों का आभूषण” – मुनिश्री आलोक
मनीषी संत विनय कुमार आलोक ने कहा कि राज्यपाल द्वारा लगातार दूसरे वर्ष क्षमायाचना कार्यक्रम का आयोजन पंजाब राजभवन में कराना एक ऐतिहासिक कीर्तिमान है। उन्होंने कहा कि क्षमा मांगने से अहंकार खत्म होता है और क्षमा करने से संस्कार बनते हैं। क्षमा वीरों को ही सुहाती है, इसकी महिमा चारों दिशाओं में फैल जाती है। रहीमदास ने भी कहा है कि छोटी गलती करने वालों को बड़े दिल से माफ कर देना चाहिए।
“क्षमादान सबसे बड़ा दान” – आशीष मुनि
आशीष मुनि ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान महावीर ने स्पष्ट किया है कि क्षमादान से बड़ा कोई दान नहीं होता। उन्होंने कहा कि मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं और सब जीवों को क्षमा करता हूं। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। उन्होंने बताया कि क्षमा से मन का कषाय धुल जाता है और आत्मा शुद्धि की ओर अग्रसर होती है।
“सबसे बड़ा बल क्षमा है” – सुखदर्शन मुनि
सुखदर्शन मुनि ने कहा कि क्षमा का मार्ग अतुलनीय और सर्वश्रेष्ठ है। यदि क्रोध सर्वशक्तिमान होता तो युद्धों से सारी समस्याएं समाप्त हो जातीं, पर ऐसा नहीं हुआ। क्षमा ही पापों से दूर कर मोक्ष मार्ग दिखाती है। उन्होंने कहा कि हर धर्मग्रंथ में क्षमा भाव को सर्वोच्च महत्व दिया गया है। यह पर्व हमें सहनशीलता का पाठ पढ़ाता है और क्रोध पर नियंत्रण करना सिखाता है।
“क्षमायाचना दिल से करें” – साध्वी संतोष
साध्वी संतोष ने कहा कि आज सकल जैन समाज एक मंच पर आकर क्षमायाचना कर रहा है, यह बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि इंसान जीवन में हर जगह शॉर्टकट ढूंढता है, लेकिन क्षमा करने और देने के मामले में शॉर्टकट नहीं चलना चाहिए। उन्होंने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की विनम्रता और सादगी की भी प्रशंसा की।
भगवान महावीर का संदेश
संतों ने एक स्वर में कहा कि भगवान महावीर ने क्षमा करने को ही सबसे महान गुण बताया। गलती करना इंसान की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। लेकिन माफी मांगना और सामने वाले को क्षमा कर देना इंसानियत का श्रेष्ठ गुण है। क्षमा से ही आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप को प्राप्त कर सकती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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