नई दिल्ली। केन्द्र सरकार की ओर से आरएसएस कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों को शामिल होने की छूट देने के आदेश के आदेश पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कड़ा एतराज जताया है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को कहा कि सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से प्रतिबंध जारी था, केन्द्र सरकार का इस प्रतिबंध को हटाने का निर्णय देशहित में नहीं है। वहीं कांग्रेस ने एक आधिकारिक आदेश का हवाला देते हुए दावा किया कि आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को केन्द्र के इस आदेश पर सवाल उठाते हुए एक्स पर पोस्ट में कहा कि सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का निर्णय देशहित से परे और राजनीति से प्रेरित है।
सरकारी कर्मचारियों को कानून के दायरे में काम करना चाहिए
बसपा प्रमुख मायावती ने पोस्ट में कहा कि सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है। जबकि आरएसएस की गतिविधियां राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं। उन्होंने इस निर्णय को अनुचित बताते हुए इसे तुरन्त वापस लेने की मांग की है।
कार्यालय ज्ञापनों से आरएसएस का उल्लेख हटाया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की ओर से नौ जुलाई को जारी कार्यालय ज्ञापन को साझा कर बताया कि आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित उक्त आदेश में कहा कि इन निर्देशों की समीक्षा कर निर्णय लिया गया कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए।