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    भीलवाड़ा: 131 करोड़ की स्वीकृति के बावजूद वंचित कॉलोनियों को शुद्ध चम्बल का पानी नहीं मिल पाया

    भीलवाड़ा में चम्बल पेयजल योजना पर 131 करोड़ की स्वीकृति के बावजूद 1 लाख से अधिक लोग अब भी अधिक टीडीएस वाला पानी पीने को मजबूर। पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से जल्द समयसीमा तय करने की माँग की।

    मिशनसच न्यूज, भीलवाड़ा। पानी की समस्या राजस्थान के हर जिले में किसी न किसी रूप में मौजूद है, लेकिन भीलवाड़ा की वंचित कॉलोनियों की स्थिति और भी गंभीर है। यहाँ आज भी हजारों लोग शुद्ध पेयजल से वंचित हैं और अधिक टीडीएस वाला प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं। जबकि सरकार द्वारा इन क्षेत्रों को चम्बल का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए 131 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की जा चुकी है।

    योजना बनी, बजट भी आया, फिर भी लोग वंचित

    पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सरकार ने बजट स्वीकृत कर दिया, निविदाएं भी हो चुकी हैं, लेकिन काम की गति इतनी धीमी है कि आज भी लगभग 1 लाख लोग दूषित पानी पी रहे हैं। जिन कॉलोनियों को इस योजना से लाभ मिलना था, वहाँ अब तक पाइपलाइन बिछाने और पानी पहुँचाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

    जाजू का कहना है कि आमजन को शुद्ध पानी उपलब्ध कराना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। पानी जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रखना किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं है।

    स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर

    शहर की वंचित कॉलोनियों में अधिक टीडीएस वाला पानी पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।

    • किडनी की बीमारियाँ,

    • पथरी की समस्या,

    • त्वचा रोग,

    • और बच्चों में पेट संबंधी परेशानियाँ लगातार बढ़ रही हैं।

    ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी बार-बार चेतावनी देते रहे हैं कि अधिक टीडीएस और अशुद्ध पानी दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकता है।

    हाईकोर्ट में दायर है जनहित याचिका

    गौरतलब है कि बाबूलाल जाजू ने चम्बल पेयजल को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी दायर की हुई है। इस पर सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन और पीएचईडी विभाग को दिशा-निर्देश दिये गये हैं कि वंचित कॉलोनियों तक जल्द से जल्द चम्बल का शुद्ध पेयजल पहुँचाया जाए।

    याचिका में यह भी बताया गया है कि चम्बल नदी से भीलवाड़ा तक लाई जाने वाली पानी की आपूर्ति योजना प्रदेश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। लेकिन जिस गति से इसका कार्य चल रहा है, उससे यह तय समय पर पूरा होना मुश्किल लग रहा है।

    प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सवाल

    जाजू ने प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सवाल उठाया है कि जब 131 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हो चुका है और निविदाएं भी पूरी हो चुकी हैं, तो आखिर शुद्ध पानी लोगों तक पहुँचने में इतनी देरी क्यों हो रही है? उन्होंने यह भी कहा कि अब इस कार्य के लिए स्पष्ट समयसीमा तय होनी चाहिए ताकि वंचित कॉलोनियों को जल्दी से जल्दी चम्बल का पानी मिल सके।

    आमजन की पीड़ा

    वंचित कॉलोनियों में रहने वाले लोग बताते हैं कि उन्हें अक्सर निजी टैंकरों और महंगे पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। कई बार टैंकर का पानी भी शुद्ध नहीं होता और लोग मजबूरी में वही पीते हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा—
    “सरकार ने चम्बल के पानी का सपना दिखाया था, लेकिन आज भी हमें गंदा और खारा पानी पीना पड़ रहा है। हमारे बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और रोज़मर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है।”

    जरूरत है ठोस कार्यवाही की

    विशेषज्ञों का मानना है कि भीलवाड़ा जैसे औद्योगिक और व्यापारिक शहर में पानी की गुणवत्ता का मुद्दा केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी गंभीर है। यदि जल्द ही वंचित कॉलोनियों को शुद्ध पानी नहीं मिला तो यहाँ बीमारियों का खतरा और बढ़ जाएगा।

    बाबूलाल जाजू ने स्पष्ट कहा कि अब सरकार और प्रशासन को ‘एक्शन मोड’ में आना होगा। उन्होंने मांग की कि काम की समयसीमा तय की जाए और इसकी प्रगति की नियमित निगरानी की जाए, ताकि वंचित कॉलोनियों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।

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