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    मुनि पावन सागर महाराज 3 सितंबर से आमरण अनशन | जैन धर्मायतनों और पुरातत्व संरक्षण की मांग

    राजस्थान के खैरथल-तिजारा स्थित बेहरोज गांव की जमीन और प्राचीन जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर दिगम्बर जैन मुनि पावन सागर महाराज 3 सितंबर से सचिवालय के बाहर आमरण अनशन करेंगे। जैन समाज ने चेताया कि यदि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो हजारों जैन बंधु आंदोलन में शामिल होंगे।

    जैन धर्मायतनों एवं पुरातत्व संरक्षण की मांग पर मुनि पावन सागर महाराज करेंगे आमरण अनशन

    मिशनसच न्यूज, जयपुर। जैन धर्म और समाज की धार्मिक आस्थाओं से जुड़े पावन स्थल एवं प्राचीन धरोहर संरक्षण को लेकर अब आंदोलन तेज होता दिखाई दे रहा है। दिगम्बर जैन मुनि पावन सागर महाराज ने घोषणा की है कि यदि सरकार और प्रशासन ने जैन धर्मायतनों एवं बेहरोज गांव की जमीन संबंधी मुद्दों पर तुरंत संज्ञान नहीं लिया तो वे आगामी 3 सितंबर से जयपुर सचिवालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठेंगे।

    यह फैसला जैन समाज की लंबे समय से चली आ रही मांगों और शिकायतों के बीच लिया गया है। मुनि पावन सागर महाराज ने साफ कहा है कि जैन समाज की धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    बेहरोज गांव की जमीन विवाद और जैन समाज की मांगें

    अलवर जिले के खैरथल-तिजारा क्षेत्र के बेहरोज गांव की जमीन पर अवैध कब्जे और विवाद लंबे समय से चर्चा का विषय बने हुए हैं। जैन समाज का आरोप है कि यह भूमि जैन धर्मायतन और मंदिरों से जुड़ी है, जिस पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर रखा है।

    समाज की मांग है कि राज्य सरकार इस भूमि को मुक्त कराकर जैन धर्मायतन समिति को वापस सौंपे ताकि यहां के प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का संरक्षण किया जा सके। जैन समाज का कहना है कि यदि जमीन मुक्त नहीं कराई गई तो समाज के लोग आंदोलन को और उग्र करेंगे।

    प्राचीन जैन मंदिरों का जीर्णोद्धार

    जैन समाज की एक अन्य बड़ी मांग राजस्थान में फैले प्राचीन जैन मंदिरों और पुरातत्व धरोहरों का जीर्णोद्धार कराने की है। इन मंदिरों की ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्ता है, लेकिन उपेक्षा और लापरवाही के कारण इनकी हालत खस्ताहाल होती जा रही है।

    मुनि पावन सागर महाराज ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इन्हें संरक्षित नहीं किया तो आने वाली पीढ़ियों को यह धरोहरें देखने को नहीं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि जैन समाज हमेशा से शांति और अहिंसा का प्रतीक रहा है, लेकिन अपनी आस्था और धरोहरों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने पर भी मजबूर होगा।

    3 सितंबर से आमरण अनशन

    मुनि पावन सागर महाराज ने घोषणा की है कि वे 3 सितंबर 2025 से जयपुर सचिवालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठेंगे। इस अनशन का उद्देश्य सरकार को जगाना और जैन समाज की मांगों को सामने लाना है।

    उन्होंने कहा – “यदि हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो मैं प्राण त्यागने को भी तैयार हूं। धर्म और समाज की रक्षा के लिए बलिदान देने में ही सच्ची तपस्या है।”

    इस घोषणा के बाद से जैन समाज में गहरी चिंता और आक्रोश है। बड़ी संख्या में जैन बंधुओं ने जयपुर में एकत्र होकर अनशन का समर्थन करने का ऐलान किया है।

    आंदोलन में शामिल होंगे हजारों जैन बंधु

    सूत्रों के अनुसार, अनशन के दिन पूरे राजस्थान सहित पड़ोसी राज्यों से भी हजारों जैन समाज के लोग जयपुर पहुंचेंगे। आंदोलन के लिए समाज के विभिन्न संगठनों और ट्रस्टों ने समर्थन देने की घोषणा कर दी है।

    जैन समाज ने चेताया है कि यदि सरकार ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।

    प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

    जैन समाज का आरोप है कि बार-बार ज्ञापन और निवेदन देने के बावजूद प्रशासन चुप है। समाज के नेताओं का कहना है कि यदि कोई अन्य धर्म या समुदाय होता तो सरकार तुरंत संज्ञान लेती, लेकिन जैन समाज की शांतिपूर्ण प्रवृत्ति को उसकी कमजोरी समझ लिया गया है।

    जैन समाज का स्पष्ट संदेश

    जैन समाज ने एक स्वर में कहा है कि वे अपनी धार्मिक आस्थाओं और पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। समाज ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मांग की है कि वे तत्काल हस्तक्षेप कर मामले का समाधान करें।

    राजस्थान में जैन समाज की यह लड़ाई केवल एक भूमि विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धर्म, संस्कृति और प्राचीन धरोहरों के संरक्षण का भी सवाल है। मुनि पावन सागर महाराज का आमरण अनशन आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

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