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    Homeअपराधम्यूल अकाउंट्स के जरिए साइबर ठगी पर पुलिस का बड़ा शिकंजा

    म्यूल अकाउंट्स के जरिए साइबर ठगी पर पुलिस का बड़ा शिकंजा

    एक महीने में 4,337 म्यूल अकाउंट्स पर कार्रवाई, 100 से ज्यादा अपराधी गिरफ्तार, करोड़ों का लेन-देन पकड़ा

    मिशनसच न्यूज, अलवर। मेवात क्षेत्र और आसपास साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए अलवर पुलिस ने “ऑपरेशन साइबर संग्राम” चलाकर ठगों की कमर तोड़ दी है। पिछले एक महीने में की गई इस कार्रवाई में पुलिस ने 100 से ज्यादा साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, जबकि 7,000 से अधिक संदिग्ध बैंक खातों की जांच के बाद 4,337 खातों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई की गई। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि इन म्यूल अकाउंट्स से अब तक एक हजार करोड़ से अधिक की ठगी की रकम का लेन-देन किया जा चुका है।

    म्यूल अकाउंट्स पर आधारित ठगी का नेटवर्क

    अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शरण गोपीनाथ कांबले ने बताया कि 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक विशेष अभियान के तहत कार्रवाई की गई। इसमें 51 मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें 6 प्रकरण फर्जी सिम बेचने से जुड़े थे। बाकी मामलों में संदिग्ध बैंक खातों और आईटी एक्ट के अंतर्गत साइबर फ्रॉड शामिल थे। पुलिस की जांच में यह सामने आया कि ठग सबसे ज्यादा म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये ऐसे बैंक खाते होते हैं जिन्हें अपराधी या तो फर्जी नामों से खोलते हैं या गरीब और अनजान लोगों को पैसे का लालच देकर उनके नाम से खुलवाते हैं। ऐसे खातों का उपयोग ठगी के पैसे को इधर-उधर करने में किया जाता है। खासकर करंट अकाउंट्स का इस्तेमाल होता है, क्योंकि इनमें बड़े पैमाने पर लेन-देन आसानी से किया जा सकता है।

    कमीशन पर बिकते थे बैंक खाते

    एएसपी कांबले ने बताया कि म्यूल अकाउंट्स को ठग अलग-अलग प्लेटफार्म पर कमीशन के आधार पर खरीदते और बेचते थे। इन खातों का उपयोग स्कैम फंड, बैंटिंग, गेमिंग, यूएसडीटी इनवेस्टमेंट और अन्य धोखाधड़ी वाले निवेश योजनाओं में किया जा रहा था। कई बार खाता धारक को जानकारी ही नहीं होती कि उनके खाते से अपराध हो रहा है। वहीं, कुछ लोग जानबूझकर कमीशन लेकर अपने खाते ठगों को बेच देते हैं। जांच में यह भी पाया गया कि कई ठग गरीब लोगों को मामूली पैसे देकर उनके नाम से करंट अकाउंट खुलवाते थे और फिर उन्हीं खातों का उपयोग करोड़ों की ठगी के लेन-देन में करते थे।

    ठगी का नेटवर्क और फर्जी कंपनियां

    पुलिस के मुताबिक म्यूल अकाउंट्स में ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्चर, फूड और फुटवियर जैसे नामों से करंट अकाउंट खोले गए थे। इन खातों में लाखों-करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया। पुलिस की पड़ताल में ऐसे भी मामले सामने आए जिनमें एक ही खाते से 200 करोड़ रुपए तक की ठगी का लेन-देन हुआ। ठगों ने कई बार फर्जी कंपनियां बनाकर भी ठगी की रकम को इन म्यूल अकाउंट्स में ट्रांसफर किया। इनमें से कई ट्रांजेक्शन अभी तक पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुए थे, लेकिन जांच में यह साफ हो गया कि वे संदिग्ध और साइबर फ्रॉड से जुड़े हैं।

    फर्जी सिम विक्रेताओं पर भी कार्रवाई

    साइबर अपराधों में सबसे बड़ा सहारा फर्जी सिम कार्ड को माना जाता है। ठग इन्हीं के जरिए डिजिटल वॉलेट और बैंक खातों को ऑपरेट करते हैं। पुलिस ने विशेष अभियान के दौरान 6 प्रकरणों में फर्जी सिम बेचने वाले अपराधियों को भी पकड़ा है। इनके पास से बड़ी संख्या में सिम कार्ड, मोबाइल और अन्य उपकरण बरामद किए गए।

    गिरफ्तारियां और जब्त सामग्री

    पिछले एक महीने में पुलिस ने 115 से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इनमें कई संगठित गिरोहों के सदस्य भी शामिल हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यों से ऑपरेट कर रहे थे। पुलिस ने इनके कब्जे से मोबाइल फोन, लैपटॉप, बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड और डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं।

    आगे की कार्रवाई

    एएसपी कांबले ने बताया कि पुलिस की ओर से चिन्हित किए गए खातों की गहन जांच जारी है। ठगी की रकम कहां-कहां भेजी गई, इसका पता लगाने के लिए वित्तीय संस्थानों और साइबर विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य न सिर्फ अपराधियों को पकड़ना है बल्कि जनता को जागरूक करना भी है।

    जनता से अपील

    पुलिस ने आमजन से अपील की है कि वे लालच में आकर अपने बैंक खाते किसी को न दें। यदि कोई व्यक्ति आपके खाते का उपयोग करने की पेशकश करता है तो तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दें। साथ ही, संदिग्ध कॉल और मैसेज से बचें और किसी भी लिंक या ऐप को बिना जांच-परख डाउनलोड न करें।

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